Muzaffarnagar एक गंभीर लेकिन अनदेखे खतरे की ओर समाज का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से, मुजफ्फरनगर के रिजर्व पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक अपराध श्रीमती इंदु सिद्धार्थ के नेतृत्व में एक विशेष जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें HIV एड्स जैसे खतरनाक संक्रमण को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
कार्यशाला में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के साथ-साथ वन स्टॉप सेंटर प्रभारी, बाल संप्रेक्षण गृह प्रभारी और थानों पर तैनात विवेचक भी शामिल हुए, जिन्होंने HIV एड्स की जमीनी सच्चाइयों और इससे जुड़े सामाजिक तथा चिकित्सीय पहलुओं पर गहराई से चर्चा की।
HIV एड्स से जुड़ी अज्ञानता बन रही है समाज के लिए बड़ी चुनौती
कार्यशाला की शुरुआत में जिला चिकित्सालय के एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) सेंटर के प्रभारी डॉ. रहमान ने HIV एड्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक गंभीर और जानलेवा संक्रमण है जो मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित इंजेक्शन के प्रयोग और संक्रमित मां से नवजात में संक्रमण के जरिए फैलता है।
डॉ. रहमान ने यह भी बताया कि यदि समय पर सही इलाज और नियमित दवाओं का सेवन किया जाए, तो HIV संक्रमित मां से बच्चे में संक्रमण की संभावना को 95% तक कम किया जा सकता है। उन्होंने सुरक्षित यौन व्यवहार, स्वच्छ सुइयों का प्रयोग और समय-समय पर टेस्ट करवाने जैसे बचाव के उपाय भी साझा किए।
पुलिस विभाग में बढ़ती भूमिका: HIV के खिलाफ सशक्त पहल की तैयारी
कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक अपराध इंदु सिद्धार्थ ने उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि HIV संक्रमित व्यक्ति भी एक आम नागरिक की तरह जीने का हकदार है और उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव अस्वीकार्य है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “हमें समाज में ऐसी धारणा बनानी होगी कि HIV एड्स कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि यह एक चिकित्सकीय रूप से नियंत्रित संक्रमण है और इससे पीड़ित व्यक्ति को सहारा देना हमारा कर्तव्य है।”
इसके साथ ही उन्होंने ड्रग्स और नशीले इंजेक्शन के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जताई, जो कि युवाओं में HIV संक्रमण का प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि ड्रग्स व नशे के खिलाफ कड़ा अभियान चलाया जाए ताकि संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके।
थानों पर नोडल अफसर और प्रचार-प्रसार की नई रणनीति
इस कार्यशाला का एक प्रमुख निर्णय यह भी रहा कि सभी थानों पर एक-एक नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जिनका मुख्य कार्य क्षेत्र में HIV एड्स के प्रति जागरूकता फैलाना होगा।
इसके अलावा, हर थाना और चौकी पर वॉल पेंटिंग, पोस्टर, पंपलेट और फ्लेक्स बैनर के जरिए HIV एड्स के लक्षणों, बचाव के तरीकों और परीक्षण के महत्व की जानकारी दी जाएगी। यह प्रचार-प्रसार आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली कदम माना जा रहा है।
Muzaffarnagar Police की नई पहल से जागे उम्मीद के दीये
पुलिस अधीक्षक इंदु सिद्धार्थ द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित तौर पर Muzaffarnagar के लिए मिसाल बन सकता है। HIV एड्स जैसी गंभीर समस्या को लेकर यदि पुलिस ही जागरूकता की मशाल थामे तो यह संदेश समाज के हर तबके तक बड़ी प्रभावशाली तरीके से पहुंच सकता है।
इस पहल से यह भी उम्मीद की जा रही है कि अन्य जनपदों में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, और HIV के खिलाफ एक सशक्त और संगठित मोर्चा खड़ा किया जा सकेगा।
समाज में बदलाव की बयार: HIV के नाम पर भेदभाव नहीं, सहयोग जरूरी
कार्यशाला के दौरान यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि आज भी समाज में HIV संक्रमित लोगों के प्रति भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार की भावना बनी हुई है, जो कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ देती है। इस दिशा में पुलिस द्वारा यह उठाया गया कदम एक संवेदनशील और मानवीय पहल है।
अब जबकि HIV एड्स के इलाज की सुविधाएं पहले से बेहतर हैं, समय आ गया है कि समाज भी अपनी सोच को बदले और HIV संक्रमित व्यक्ति को भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार दे।
डॉ. रहमान के अनुसार: “HIV कोई अंत नहीं है, ये एक नई शुरुआत हो सकती है, बशर्ते समय पर जांच और इलाज हो।” इस कथन को आधार बनाते हुए कार्यशाला ने सभी अधिकारियों को यह प्रेरणा दी कि वे समाज के हर वर्ग तक HIV की सही जानकारी पहुंचाएं।
Muzaffarnagar Police की इस पहल ने HIV एड्स को लेकर जागरूकता फैलाने की दिशा में एक नया इतिहास रच दिया है। यदि अन्य जनपद भी इस मॉडल को अपनाएं, तो आने वाले समय में हम HIV मुक्त समाज की ओर तेज़ी से बढ़ सकते हैं। मानवता और विज्ञान के इस संगम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।