Muzaffarnagar 31 जुलाई को प्रस्तावित ‘यादें रफी’ कार्यक्रम को लेकर शहर में राजनीतिक और धार्मिक माहौल गरमा गया है। संयुक्त हिंदू मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम के खिलाफ सिटी मजिस्ट्रेट पंकज प्रकाश राठौर को ज्ञापन सौंपते हुए कार्यक्रम को रद्द करने की मांग की है। मनोज सैनी के नेतृत्व में पहुंचे हिंदू मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने यह आरोप लगाया कि यह कार्यक्रम न सिर्फ बिना अनुमति के किया जा रहा है, बल्कि इसमें लव जिहाद जैसी घटनाओं की आशंका भी जताई गई है।


हिंदू समाज की महिलाओं की तस्वीरें लगाकर प्रचार: गंभीर आरोप

कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन में अवगत कराया कि ‘यादें रफी’ नामक इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन एक ऐसी संस्था द्वारा किया जा रहा है, जिसके अधिकतर सदस्य गैर-हिंदू समुदाय से हैं। परंतु कार्यक्रम के प्रचार में हिंदू समाज की महिलाओं और युवतियों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। कार्यकर्ताओं ने इसे एक सुनियोजित षड्यंत्र करार दिया है, ताकि हिंदू महिलाओं को लुभाया जा सके और कार्यक्रम में आकर्षित किया जा सके।


लव जिहाद के एंगल से भी जोड़ा मामला

ज्ञापन में कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि इस प्रकार के आयोजनों के पीछे कई बार लव जिहाद की घटनाएं सामने आई हैं। उन्होंने विशेष रूप से छांगुर जैसे कथित बहरूपियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्व में इस प्रकार के लोगों द्वारा धोखे से प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण की घटनाएं प्रकाश में आई हैं। ऐसे में इस कार्यक्रम को सिर्फ सांस्कृतिक आयोजन मान लेना भोलेपन से भरा और खतरनाक हो सकता है।


कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं ली गई: मोर्चा का दावा

कार्यकर्ताओं का दावा है कि ‘यादें रफी’ कार्यक्रम के लिए प्रशासन से कोई वैध अनुमति नहीं ली गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना अनुमति किस आधार पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यदि अनुमति नहीं ली गई है, तो कार्यक्रम गैरकानूनी ठहराया जाना चाहिए और आयोजकों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।


हिंदूवादी नेता पर शिकायत को लेकर भी विरोध

संयुक्त हिंदू मोर्चा ने यह भी खुलासा किया कि कार्यक्रम कराने वाली संस्था ने हिंदूवादी नेता सुमित बजरंगी के खिलाफ पुलिस को एक प्रार्थना पत्र दिया है। कार्यकर्ताओं ने इस शिकायत को मनगढ़ंत और राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित बताते हुए कहा कि बजरंगी को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने मांग की कि शिकायत करने वालों के खिलाफ गंभीर जांच और कार्रवाई की जाए।


सभी आयोजकों की जांच की मांग: क्या है सच्चाई?

हिंदू मोर्चा ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजे गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा कि कार्यक्रम आयोजन समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों की जांच की जाए। उनका आरोप है कि कई बार ऐसी संस्थाएं सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आड़ में धार्मिक असंतुलन और गलत गतिविधियों को अंजाम देती हैं। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इस संस्था के बैंक अकाउंट, सदस्यता और पूर्व आयोजनों की जांच की जाए।


ज्ञापन सौंपने वाले कौन-कौन थे?

संयुक्त हिंदू मोर्चा की ओर से ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल थे —
डॉ. योगेन्द्र शर्मा, राधेश्याम विश्वकर्मा, पंकज भारद्वाज, बागेश अग्रवाल, अनिल लुहारी, लोकेश सैनी, अनुराग सिंघल, कमल दीप और अन्य कई कार्यकर्ता। इन सभी ने मिलकर यह दावा किया कि वे किसी जाति या समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपने समाज और संस्कृति की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक कदम उठा रहे हैं।


प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासन अब तक इस कार्यक्रम को लेकर स्पष्ट नहीं है। न ही कोई आधिकारिक अनुमति सार्वजनिक की गई है और न ही इस मुद्दे पर कोई प्रशासनिक बयान आया है। सवाल यह भी है कि यदि कार्यक्रम कानून विरुद्ध है तो उसे अब तक रोकने की कोई ठोस पहल क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन दबाव में है या फिर सच्चाई से अनभिज्ञ?


धार्मिक सद्भाव के नाम पर ढका जा रहा षड्यंत्र?

कार्यकर्ताओं का मानना है कि कई बार धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आड़ में लव जिहाद, धर्मांतरण और सामाजिक विघटन जैसे षड्यंत्रों को अंजाम दिया जाता है। यदि प्रशासन समय रहते सख्त कदम नहीं उठाता, तो आने वाले समय में इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक समाजशास्त्रीय चेतावनी है।


समाज की सजगता ही असली समाधान

संयुक्त हिंदू मोर्चा ने यह भी आह्वान किया कि जनता को भी सजग रहना चाहिए और किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से पहले उसकी पृष्ठभूमि और आयोजकों की मंशा को परखना चाहिए। किसी भी प्रकार की सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों का सामूहिक बहिष्कार करना ही एकमात्र समाधान है।


‘यादें रफी’ कार्यक्रम को लेकर मुजफ्फरनगर में खड़ा हुआ यह विवाद अब प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक चुनौती बन चुका है। बिना अनुमति और लव जिहाद जैसी गंभीर आशंकाओं के बीच यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं बल्कि एक व्यापक सामाजिक बहस का विषय बन गया है।

 



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