मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar)। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर द्वारा आयोजित स्वर्ण जयंती रामलीला मंचन महोत्सव में राजा राम चन्द्र के राजतिलक की लीला का भावपूर्ण और रोमांचकारी मंचन किया गया। इस अद्भुत मंचन ने अयोध्या में हर घर को खुशियों और दीयों से रोशन कर दिया। राजतिलक के इस महत्वपूर्ण अवसर ने अयोध्या में राजा रामचन्द्र के दरबार में प्रसन्नता और सम्पन्नता का स्वागत किया। इस अवसर पर चारों ओर हर्ष, उल्लास और आनंद का वातावरण था, और रामराज्य की स्थापना का संदेश हर दिल में गूंज रहा था।

स्वर्ण जयंती रामलीला महोत्सव का समापन

स्वर्ण जयंती रामलीला मंचन महोत्सव के अंतिम दिन, विजयादशमी के उपरांत आयोजित कार्यक्रम में भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने और उनके राजतिलक का मंचन हुआ। शुक्रवार की रात नगर के मुख्य रामलीला मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु और दर्शक एकत्रित हुए और भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक का दृश्य देखने के लिए एकजुट हुए। मंचन का आरंभ पूजन से हुआ, जिसमें पंडित बृजेन्द्र मिश्रा ने मुख्य अतिथि उद्यमी रघुराज गर्ग, संजीव अग्रवाल और रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों के साथ पूजा अर्चना की।

भव्य मंचन और दिव्य मंच सजावट

मंच को अयोध्या के राजमहल के रूप में सजाया गया था, जिसमें सुनहरी झालरों, दीपमालाओं और पुष्पों की सुंदर सजावट थी। भगवान श्रीराम का राजतिलक वैदिक विधि से, मंत्रोच्चार के साथ किया गया। इस दिव्य दृश्य के दौरान भगवान श्रीराम का आदर्श शासन और ‘रामराज्य’ की स्थापना का संदेश सभी दर्शकों तक पहुँचाया गया। यह दृश्य अत्यंत मार्मिक था जब भरत ने श्रीराम को सिंहासन सौंपा और अयोध्या में एक आदर्श शासन की शुरुआत हुई।

नृत्य नाटिका और रामराज्य की स्थापना

इस विशेष मंचन में कलाकारों ने नृत्य नाटिका के माध्यम से अयोध्या में छाए हर्ष एवं उल्लास को दर्शाया। मंचन के दौरान पारंपरिक संगीत और नृत्य ने इस आयोजन को जीवंत बना दिया और दर्शकों को रामायण के युग में ले जाने का अहसास कराया। भगवान श्रीराम की भूमिका में पंकज शर्मा ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप को सजीव किया, और मंचन के दौरान उनके संवादों और अभिनय ने रामराज्य की अवधारणा को पूरी तरह से साकार किया। मंचन के अंत में ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से पूरा मैदान गूंज उठा और ऐसा लगा जैसे त्रेता युग में हम वापस लौट आए हों।

समारोह में कलाकारों और आयोजकों का सम्मान

कार्यक्रम के अंत में रामलीला समिति के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन और उनकी धर्मपत्नी मीना ऐरन को मुख्य अतिथि रघुराज गर्ग द्वारा पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। उन्हें उनके समर्पण और रामलीला की सफलता के लिए बधाई दी गई। इसके बाद रामलीला के कलाकारों, निर्देशक मंडल और अन्य सहयोगियों को चांदी के सिक्के, स्मृति चिन्ह और प्रमोपहार देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोग और कलाकार

कार्यक्रम में रामलीला कमेटी के प्रमुख प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल और उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। कलाकारों में पंकज शर्मा (भगवान श्रीराम), नारायण ऐरन, विजय मित्तल, जितेंद्र नामदेव, और कई अन्य कलाकारों ने अपनी बेहतरीन भूमिका निभाई।

समारोह की अहम बातें

स्वर्ण जयंती रामलीला मंचन ने एक नया इतिहास रचते हुए 50वें कार्यक्रम के समापन के साथ रामराज्य की अवधारणा को जन-जन तक पहुँचाया। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अयोध्या और मुजफ्फरनगर के लिए अविस्मरणीय बन गया।

रामलीला के इस स्वर्ण जयंती महोत्सव के समापन ने अयोध्या में न सिर्फ श्रद्धा और आस्था की लौ को प्रज्वलित किया, बल्कि यह कार्यक्रम सनातन संस्कृति और हमारे महान धर्म की निरंतरता का प्रतीक बन गया।



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