मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News)। चर्चित रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में अदालत ने फैसला सुना दिया। पीएसी के दो रिटायर्ड सिपाहियों पर १५ मार्च को दोष सिद्ध हो चुका था। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-७ के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई की और दोनों दोषी सिपाहियों को आजीवन कारावास के साथ दोषियों पर पचास-पचास हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में सुनवाई पूरी हो चुकी है। अभियुक्त मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर दोष सिद्ध हुआ था। लंच के बाद सजा के प्रश्न पर सुनवाई हुई। सीबीआई की ओर से कुल १५ गवाह पेश किए गए। दोनों अभियुक्तों पर धारा ३७६जी, ३२३, ३५४, ३९२, ५०९ व १२० बी में दोष सिद्ध हुआ था।
सजा के प्रश्न पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस कांड को जलियावाला बाग जैसी घटना से तुलना की। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने कई मामलों में वीरता का परिचय दिया प्रदेश का मान सम्मान बढ़ाया, लेकिन यह देश और न्यायालय की आत्मा को झकझोर देने वाला प्रकरण है।
उल्लेखनीय है कि एक अक्तूबर, १९९४ की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रूकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे।
आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद २५ जनवरी १९९५ को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होरची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के थाना पथरा बाजार के गांव गौरी का रहने वाला है।