मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) जिले के रुड़की रोड स्थित बांनगर रेलवे ट्रैक पर शनिवार दोपहर उस समय सनसनी फैल गई, जब एक तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आकर 22 वर्षीय युवक की मौके पर ही मौत हो गई। इस हृदयविदारक हादसे के बाद रेलवे ट्रैक पर अफरातफरी मच गई और घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं।
📍 जेब में मिले कागज़ों से हुई युवक की पहचान, GRP और UP 112 की टीम सक्रिय
घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने UP 112 डायल सेवा और थाना जीआरपी को अवगत कराया। मौके पर पहुंची GRP पुलिस टीम ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शव की जेब से मिले दस्तावेजों के आधार पर युवक की पहचान अमनपाल पुत्र रविंद्र कुमार के रूप में हुई, जो थाना शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला नई बस्ती रामपुरी का रहने वाला था। अमनपाल की उम्र लगभग 22 से 23 वर्ष बताई जा रही है।
😢 परिवार में मचा कोहराम, रोते-बिलखते पहुंचे जीआरपी थाना
जब परिजनों को सूचना दी गई, तो पूरे परिवार में कोहराम मच गया। अमनपाल की मौत की खबर सुनकर माता-पिता और अन्य परिजन बिलखते हुए रेलवे ट्रैक और थाना जीआरपी पहुंचे। वहां का माहौल पूरी तरह ग़मगीन हो गया। थाना प्रभारी जीआरपी ने बताया कि मृतक का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है और विधिक कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है।
⚠️ रुड़की रोड: आए दिन हो रही हैं दर्दनाक घटनाएं, रेलवे ट्रैक बना खतरनाक ज़ोन
रुड़की रोड और उसके आस-पास के रेलवे ट्रैक अब खतरनाक जोन बनते जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में यहां कई ट्रेन हादसे हो चुके हैं जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे प्रशासन द्वारा सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। फुटओवर ब्रिज, सिग्नलिंग सिस्टम और उचित चेतावनी बोर्ड की कमी के कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
📊 आंकड़ों की नजर में मुजफ्फरनगर रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाएं
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वर्ष 2024 में अब तक 12 से अधिक हादसे रेलवे ट्रैक पर हो चुके हैं।
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इनमें से 7 मामले सिर्फ रुड़की रोड के आसपास हुए हैं।
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मृतकों की उम्र 16 से 30 वर्ष के बीच रही है, यानी अधिकतर युवा ही इसका शिकार बने हैं।
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GRP और रेलवे प्रशासन के पास ऐसे हादसों को रोकने का कोई स्थायी समाधान नहीं है।
💬 स्थानीय निवासियों का फूटा ग़ुस्सा – बोले, “हमारे बच्चे मर रहे हैं और कोई सुनवाई नहीं!”
हादसे के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश का माहौल है। उन्होंने रेलवे और प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई। एक बुजुर्ग निवासी ने कहा,
“हर हफ्ते किसी न किसी का खून इस ट्रैक पर गिरता है, लेकिन रेलवे प्रशासन सोया पड़ा है। न सुरक्षा है, न गश्त, न ही कोई चेतावनी। अगर जल्द कदम नहीं उठाया गया तो आंदोलन किया जाएगा।”
👮♂️ GRP की कार्यशैली पर उठे सवाल, सुरक्षा पर लापरवाही का आरोप
घटनाओं की पुनरावृत्ति ने GRP की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि रेलवे ट्रैक के पास सख्त निगरानी और चेतावनी संकेत होते, तो अमनपाल की जान बचाई जा सकती थी। GRP को चाहिए कि हाई-रिस्क जोन में गश्त बढ़ाए और CCTV कैमरे लगाए जाएं।
🕯️ अमनपाल: एक होनहार युवक की दर्दनाक विदाई, अधूरे रह गए सपने
अमनपाल की उम्र भले ही कम थी, लेकिन उसकी जिम्मेदारियों की लिस्ट बड़ी थी। परिजनों ने बताया कि वह घर का सबसे बड़ा बेटा था और किसी निजी फैक्ट्री में काम करता था। उसका सपना था कि वो अपने माता-पिता को एक बेहतर जीवन दे सके। लेकिन एक अचानक हादसे ने उसके सारे सपनों को चूर-चूर कर दिया। अब उसका परिवार सिर्फ न्याय और सुरक्षा व्यवस्था की गुहार लगा रहा है।
🚨 प्रशासन से मांग: रेलवे ट्रैक को सुरक्षित बनाएं, हादसों पर लगे ब्रेक!
स्थानीय नेताओं और सामाजिक संस्थाओं ने इस घटना के बाद प्रशासन से मांग की है कि रेलवे ट्रैक पर तुरंत ठोस कदम उठाए जाएं।
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फुटओवर ब्रिज,
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सिग्नल बोर्ड,
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ऑटोमैटिक गेटिंग सिस्टम,
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रात में रोशनी की उचित व्यवस्था,
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और स्थानीय पुलिस गश्त को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
📌 हादसों पर अंकुश लगे, यही है सभी की मांग!
मुजफ्फरनगर जैसे संवेदनशील शहरों में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकार, रेलवे और पुलिस प्रशासन को एकजुट होकर काम करना होगा। हर जिंदगी कीमती है, और इस तरह का हादसा किसी और परिवार पर कहर न बनकर टूटे, इसके लिए सख्त कदम बेहद जरूरी हैं।
यह सिर्फ एक युवक की मौत नहीं है, यह एक सवाल है हमारी सिस्टम की जवाबदेही पर। अब वक्त है जागने का, न कि अगली खबर में किसी और की मौत की सूचना पढ़ने का।