Muzaffarnagar के चरथावल ब्लॉक क्षेत्र में स्थित ग्राम रोनी हरजीपुर और आसपास के गांवों में पिछले कई दिनों से तेंदुए की बढ़ती गतिविधियों ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। लगातार दिखाई दे रहे गुलदार और उसके शावकों को लेकर क्षेत्र में भय, तनाव और आक्रोश का माहौल बना हुआ है।
स्थिति गंभीर होने के बाद वन विभाग ने गांव में दूसरा पिंजरा लगाकर अभियान तेज कर दिया है। इस पिंजरे में एक जीवित बकरी को चारे के रूप में बांधा गया है, ताकि तेंदुए को सुरक्षित ढंग से पकड़ा जा सके।
ग्रामीण बोले—“खेतों में जाना मुश्किल हो गया”, शावकों को लेकर खतरा और बढ़ा
स्थानीय किसानों के अनुसार तेंदुआ अक्सर—
खेतों में दिखाई दे रहा है।
इससे किसानों में गहरी दहशत है, क्योंकि खेतों में अकेले जाना अब जोखिम भरा हो चुका है।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि ग्रामीणों ने मादा तेंदुआ और उसके दो शावकों को एक साथ देखा है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, शावकों के साथ मादा तेंदुआ और अधिक आक्रामक और रक्षात्मक हो जाती है, जिससे किसी भी अनहोनी की संभावना बढ़ जाती है।
महिलाओं ने खेत में देखा तेंदुआ—डरकर लौट गईं घर, किसानों ने किया प्रदर्शन
कुछ दिन पहले ग्राम रोनी हरजीपुर के किसान धीरज शर्मा के खेत में काम कर रहीं महिलाओं ने अचानक झाड़ियों में हलचल महसूस की।
थोड़ी देर बाद उन्हें एक मादा गुलदार अपने दो बच्चों के साथ नजर आया।
महिलाएँ तुरंत काम छोड़कर घर लौट आईं और गांव में घटना की खबर फैल गई।
इसके बाद किसानों ने खेतों में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया और वन विभाग से तुरंत कार्रवाई की मांग की।
ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुए की मौजूदगी एक पखवाड़े से भी अधिक समय से देखी जा रही है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आई।
वन विभाग हरकत में—गांव में दूसरा पिंजरा लगाया गया, टीम लगातार पेट्रोलिंग पर
किसानों के हंगामे और विरोध के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुँची और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खेतों में दूसरा पिंजरा लगाया गया।
पहला पिंजरा कुछ दिन पहले सुनील शास्त्री के खेत में लगाया गया था, लेकिन तेंदुआ उसमें नहीं फंसा।
वन कर्मियों का कहना है कि तेंदुआ अक्सर इलाके में घूम रहा है, इसलिए उसकी मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए दूसरा पिंजरा लगाया गया है।
टीम—
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इलाके में लगातार पेट्रोलिंग कर रही है
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पैरों के निशानों (पगमार्क) की जाँच कर रही है
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और आसपास के जंगल व गन्ने के खेतों में सर्च ऑपरेशन चला रही है
वन विभाग ने ग्रामीणों को सावधान रहने और रात में समूह के साथ काम करने की सलाह भी दी है।
बिरालसी और रोनी हरजीपुर के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित—रोज़गार पर भी असर
बिरालसी और रोनी हरजीपुर के खेतों में तेंदुए की नियमित गतिविधि ने किसानों के कामकाज पर गहरा असर डाला है।
किसान खेतों में अकेले जाने से बच रहे हैं, जिससे—
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गन्ना कटाई
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पशुओं के लिए चारा
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और सिंचाई का काम
ठप पड़ने लगा है।
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि सुबह के समय खेतों में ताज़े तेंदुए के पैरों के निशान पाए गए हैं।
इससे साफ है कि तेंदुआ पिछले कई दिनों से खेतों में ही घूम रहा है।
ग्रामीणों ने जताई गंभीर चिंता—“शावकों के साथ तेंदुआ बहुत खतरनाक”
स्थानीय किसान नेताओं ने बताया कि यह मामला सामान्य नहीं है।
उनका दावा है—
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मादा तेंदुए ने हाल में ही शावकों को जन्म दिया है
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इसलिए उसके हमलावर होने की संभावना और बढ़ती है
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बड़े हादसे का जोखिम हर पल मंडरा रहा है
ग्रामीण हैरान हैं कि इतने दिनों बाद भी तेंदुआ पकड़ा नहीं गया।
लोगों ने मांग की है कि वन विभाग रात में भी ड्रोन अथवा थर्मल कैमरों की सहायता से खोज अभियान चलाए।
गांवों में भय का माहौल—बच्चों को बाहर न निकलने की हिदायत
गांवों में माता-पिता अपने बच्चों को—
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खेत
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सडक किनारे
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जंगल की तरफ
न जाने की सख्त हिदायत दे रहे हैं।
स्कूल जाने वाले बच्चों को भी सुबह-शाम समूह में जाने के लिए कहा जा रहा है।
महिलाएं पशुओं को चारा लेने खेतों में जाने से डर रही हैं।
ग्राम प्रधानों और स्थानीय नेताओं ने प्रशासन से सुरक्षा गश्त बढ़ाने की मांग की है।
वन विभाग का कहना—“तेंदुए को किसी भी कीमत पर सुरक्षित पकड़ेंगे”
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि—
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तेंदुए को जंगल में सुरक्षित रिहैबिलिटेशन के लिए पकड़ना प्राथमिकता है
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पिंजरों की संख्या और बढ़ाई जा सकती है
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ग्रामीणों को नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है
टीम ने ग्रामीणों को सलाह दी कि वे—
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रात में खेतों की ओर न जाएं
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बच्चों को सुरक्षित घर के भीतर रखें
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किसी भी प्रकार की मूवमेंट दिखने पर तुरंत सूचना दें
वन विभाग ने यह भी बताया कि तेंदुए और उसके शावकों की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।
Roni Harjipur leopard activity ने पूरे चरथावल क्षेत्र में खतरे की घंटी बजा दी है। खेतों में लगातार दिखाई दे रहा तेंदुआ और उसके दो शावक ग्रामीणों के लिए बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। वन विभाग की टीम अब दो पिंजरों के साथ अभियान चला रही है, ताकि गुलदार को सुरक्षित तरीके से पकड़ा जा सके। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि मानव बस्तियों के पास वन्यजीवों की बढ़ती आवाजाही को गंभीरता से लेकर ठोस कदम उठाना बेहद आवश्यक है।
