Muzaffarnagar से विशेष रिपोर्ट |भारतीय जनता पार्टी द्वारा वक्फ संशोधन बिल को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान ने देशभर में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसौदिया द्वारा दिए गए बयान ने इस मुद्दे को और भी गरम कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल आम जनता के हित में है और इसका उद्देश्य देशभर में फैली हजारों करोड़ की वक्फ सम्पत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है।

52000 संपत्तियां और सवालों के घेरे में वक्फ बोर्ड

सतेन्द्र सिसौदिया ने गांधीनगर स्थित भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दावा किया कि देश में वक्फ बोर्ड ने 52,000 से अधिक संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर रखा है। उन्होंने खुलासा किया कि वक्फ बोर्ड द्वारा कई बार ऐसी संपत्तियों को भी “वक्फ संपत्ति” घोषित कर दिया गया, जो कि किसी और की निजी अथवा सरकारी जमीन थी। यह स्थिति लंबे समय से जारी थी, जिसके चलते आमजन को न्याय नहीं मिल पा रहा था।

उन्होंने बताया कि पहले वक्फ को यह अधिकार था कि वह बिना किसी ठोस प्रमाण के भी किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर उसे अपने कब्जे में ले सकता था। इस स्थिति का फायदा उठाकर वक्फ बोर्ड और उससे जुड़े लोग मनमानी करते रहे, जिससे कानून व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा।

सियासी घमासान: ओवैसी और खड़गे पर गंभीर आरोप

सबसे चौंकाने वाला हिस्सा तब आया जब सिसौदिया ने सीधे तौर पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दोनों नेताओं के पास वक्फ की हजारों करोड़ की संपत्तियों पर नियंत्रण है, जो कि सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्ति का मकसद गरीब मुस्लिमों और पसमांदा समाज को लाभ देना था, लेकिन यह राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल की जा रही है।

यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर चुका है। एक ओर जहां भाजपा इसे कानून व्यवस्था और पारदर्शिता की दिशा में ऐतिहासिक कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इस बयान को राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं।

सरकारी जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा और अब सरकार की सख्ती

सतेन्द्र सिसौदिया ने आगे कहा कि सरकार अब इन संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कब्जा मुक्त कराएगी। सरकारी जमीनों पर जो वक्फ बोर्ड ने कब्जा किया है, उसकी जांच की जा रही है और आवश्यक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। वक्फ की जमीन का लाभ वास्तव में उन्हीं लोगों को मिलना चाहिए, जिनके लिए यह प्रणाली शुरू की गई थी — यानी समाज के वंचित और गरीब तबके को।

उन्होंने कहा कि “अब वक्त है बदलाव का, पारदर्शिता का और न्याय का। इस कानून के माध्यम से सरकार उन हजारों संपत्तियों की जांच करेगी जो अब तक बिना जांच के वक्फ घोषित हो चुकी हैं।”

भाजपा का वक्फ जागरूकता अभियान और मजबूत समर्थन

वक्फ संशोधन बिल को लेकर भाजपा अब देशभर में जागरूकता अभियान चला रही है। इसी सिलसिले में मुजफ्फरनगर में आयोजित गोष्ठी में कई बड़े नेता मौजूद रहे, जिनमें भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. सुधीर सैनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाल, वरिष्ठ नेता शरद शर्मा, संजय गर्ग, अचिन्त मित्तल, पवन अरोरा, समीम अहमद रोक्सी, सभासद अमित पटपटिया और प्रशांत गौतम जैसे नाम शामिल हैं।

इन नेताओं ने एक सुर में इस बिल का समर्थन किया और कहा कि वक्फ की सम्पत्तियों का सही उपयोग तभी संभव है, जब सरकार की निगरानी में पारदर्शिता से कार्य हो।

क्या है वक्फ संशोधन बिल? जानिए इसकी प्रमुख बातें

  • यह बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है और अब कानून बन चुका है।

  • बिल के तहत वक्फ बोर्ड अब किसी संपत्ति को तभी वक्फ घोषित कर सकता है, जब उसके पास पुख्ता दस्तावेज हों।

  • बिना साक्ष्य के कोई संपत्ति कब्जे में नहीं ली जा सकती।

  • सरकार अब वक्फ बोर्ड द्वारा घोषित संपत्तियों की समीक्षा कर सकती है और जरूरत पड़ने पर जांच के आदेश दे सकती है।

  • सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे की स्थिति में वक्फ बोर्ड के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

समाज में जागरूकता की जरूरत, मीडिया और विपक्ष की भूमिका पर उठे सवाल

भाजपा नेताओं का मानना है कि इतने संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दे पर विपक्ष की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। वहीं मीडिया की भूमिका पर भी चर्चा हो रही है कि किस हद तक इस मुद्दे को राष्ट्रीय विमर्श में लाया जा रहा है।

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि वक्फ की संपत्तियों से जुड़े मामलों में जांच में देरी क्यों होती रही और किस आधार पर वक्फ बोर्ड को इतनी शक्तियाँ दी गईं, जिनका अब दुरुपयोग साबित हो रहा है।

भविष्य की दिशा: क्या सच में होगा बदलाव?

इस नए कानून के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब वक्फ की संपत्तियों का सही उपयोग हो सकेगा। खासतौर पर मुस्लिम समाज के गरीब तबकों को इससे सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। लेकिन असली चुनौती यह होगी कि इस कानून को जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाता है और कितनी पारदर्शिता बरती जाती है।

वर्तमान सरकार के इरादे को देखते हुए इतना जरूर कहा जा सकता है कि अब वक्फ संपत्तियों को लेकर देश में एक नई बहस शुरू हो चुकी है, जिसमें न्याय, पारदर्शिता और गरीबों के अधिकारों की लड़ाई केंद्र में है।



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