Muzaffarnagar जिले के भोपा क्षेत्र स्थित पौराणिक तीर्थस्थल शुकतीर्थ में आयोजित Shuktipeeth Dharma Parliament रविवार को हजारों लोगों की उपस्थिति के साथ सम्पन्न हुई। इस विशाल धर्म संसद में देशभर से आए महामंडलेश्वरों, धर्माचार्यों, साधु-संतों, धार्मिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।

मंच पर कई प्रस्ताव रखे गए—

  • आतंकवाद से देश की सुरक्षा

  • जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए

  • सनातन धर्म बोर्ड का गठन

  • सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का राष्ट्रीय अभियान

  • गौ माता को राष्ट्रीय माता घोषित करने की मांग

  • क्षेत्र के नाम परिवर्तन सहित धार्मिक-सामाजिक मुद्दे

  • और मंच से उठी एक तेज़ राजनीतिक मांग—योगी आदित्यनाथ को भविष्य में देश का प्रधानमंत्री बनाया जाए

कार्यक्रम में इन बिंदुओं पर लंबे विमर्श और कई धार्मिक नेताओं की विस्तृत वक्तव्यबाज़ी सुनने को मिली।


हनुमद्धाम शुकतीर्थ में आयोजित भव्य आयोजन—देशभर से पहुंचे संतों ने जताई चिंता और सुझाव

Shuktipeeth Dharma Parliament का आयोजन हिंदू संघर्ष समिति द्वारा किया गया था।
प्राचीन धार्मिक महत्व वाले भागवत उद्गम पीठ शुकतीर्थ स्थित हनुमद्धाम की यह सभा सुबह से शाम तक विभिन्न सत्रों में चली।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार, आरती और संतों के आशीर्वचन से हुई।

सभा में उपस्थित प्रमुख संतों में—

  • महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज

  • हनुमद्धाम के नैष्ठिक ब्रह्मचारी केशवानंद महाराज

  • ओमानंद महाराज

  • विभिन्न पीठों से आए संत
    —ने अपने विचार साझा किए और सनातन समाज को संगठित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि आज के समय में सनातन परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए “समग्र समाज जागरूकता अभियान” अनिवार्य है।


आतंकवाद, राष्ट्र सुरक्षा और सांस्कृतिक संकट पर प्रमुख चर्चा

धर्म संसद के कई वक्ताओं ने कहा कि देश को “अराजकता और आतंकवादी गतिविधियों” से बचाने के लिए जनता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सरकार की।
कुछ वक्ताओं ने कहा कि—

  • राष्ट्र सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए

  • समाज में धार्मिक-सांस्कृतिक संवाद बढ़ाया जाए

  • कट्टरता और हिंसा के विरुद्ध समाज को एकजुट किया जाए

  • युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से जोड़ने के कार्यक्रम शुरू हों

सभा में यह विचार भी सामने आया कि Shuktipeeth Dharma Parliament के प्रस्ताव केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में भी उपयोगी हो सकते हैं।


जनसंख्या नियंत्रण कानून की माँग—कई संतों ने बताया इसे ‘आवश्यक’

जनसंख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा धर्म संसद का एक प्रमुख केंद्र रहा।
कई वक्ताओं ने कहा कि देश में संसाधनों, शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा व्यवस्था पर जनसंख्या का लगातार बढ़ता दबाव महसूस किया जा रहा है।
वक्ताओं का मानना था कि—

  • नियंत्रित जनसंख्या राष्ट्र विकास में सकारात्मक भूमिका निभाएगी

  • सामाजिक संतुलन और समान अवसर सुनिश्चित होंगे

  • देश में स्थिरता और आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी

सभा में यह बात जोरदार आवाज में उठी कि सरकार को इस विषय पर जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए।


सनातन धर्म बोर्ड के गठन पर व्यापक सहमति—ग्रामीणों और संतों दोनों का समर्थन

कार्यक्रम का दूसरा बड़ा बिंदु था—सनातन धर्म बोर्ड का गठन
वक्ताओं ने दलील दी कि—

  • सनातन समाज के मुद्दों, मंदिरों, धार्मिक शिक्षा और संस्कारों का एक केंद्रीकृत संगठन होना चाहिए

  • सनातन संस्कृति के संरक्षण-विकास के लिए एक मजबूत संस्था आवश्यक है

  • धार्मिक स्थलों और परंपराओं की सुरक्षा में ऐसे बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है

सैकड़ों ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने भी इस प्रस्ताव के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।


योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री बनाने की मांग—सभा में गूँजी राजनीतिक आवाज

धर्म संसद में मौजूद कई संतों और कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और प्रशासनिक सख्ती की सराहना की।
इसी दौरान कुछ वक्ताओं ने मंच से यह भी कहा कि—
“योगी आदित्यनाथ जैसे कड़े, राष्ट्रवादी और अनुशासित नेता को भविष्य में देश की बागडोर संभालने का अवसर मिलना चाहिए।”

यह बयान सभा में मौजूद भीड़ से ज़ोरदार समर्थन के साथ मिला।
हालाँकि यह वक्ताओं की व्यक्तिगत बात थी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह जनभावना के एक वर्ग को दर्शाती है।

Shuktipeeth Dharma Parliament में यह विषय काफी चर्चा का केंद्र बना रहा, जहाँ लोगों ने इसे “व्यक्तिगत राय,” “धार्मिक भावना” और “नेतृत्व पर विश्वास” के रूप में देखा।


हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर भी व्यापक चर्चा—वक्ताओं ने कहा, जागृति अभियान की आवश्यकता

कई संतों और संगठनों ने कहा कि सनातन संस्कृति केवल धार्मिक पहचान नहीं बल्कि भारतीय सभ्यता की आत्मा है।
उनकी दृष्टि में “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” को मजबूत करना आवश्यक है।

सभा में कहा गया—

  • गाँव-गाँव जागरूकता अभियान चलाया जाए

  • परिवारों को संस्कार शिक्षा दी जाए

  • नारी सशक्तिकरण को प्राथमिकता मिले

  • समाज में एकता, सामूहिकता और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए

  • गौ माता को “राष्ट्रीय माता” का दर्जा देने की मांग आगे बढ़ाई जाए

इसके अलावा, कुछ वक्ताओं ने मुज़फ्फरनगर का नाम बदलकर “लक्ष्मीनगर” रखने की भी प्रस्तावना रखी।


महिलाओं की भागीदारी और सामाजिक सुधार पर जोर—‘घर-घर की माताएँ भी जुड़ें’

धर्म संसद में वक्ताओं ने यह भी आग्रह किया कि केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि घरों की माताएँ, बहनें और युवतियाँ भी सनातन संरक्षण अभियान में सक्रिय हों।
महिलाओं की भूमिका—

  • संस्कार

  • परिवारिक शिक्षा

  • सामाजिक जागरूकता
    में महत्वपूर्ण मानी गई।

वक्ताओं का कहना था कि यदि समाज की आधी आबादी सक्रिय हो जाएगी तो सनातन जागृति अभियान और भी मजबूत और प्रभावी बन जाएगा।


कई नेताओं और संगठनों की उपस्थिति—शक्ति प्रदर्शन जैसा रहा स्वरूप

सभा में कई राजनीतिक और सामाजिक व्यक्तित्व मौजूद रहे। इनमें शामिल थे—

  • मंत्री कपिलदेव अग्रवाल

  • समाजसेवी सत्यप्रकाश रेशू, देवराज पंवार

  • संयुक्त हिन्दू मोर्चा से नरेन्द्र पंवार उर्फ साधु

  • हिन्दूवादी नेता ललित मोहन शर्मा, शरद कपूर, बिट्टू सिखेड़ा

  • सामाजिक कार्यकर्ता पूनम चौधरी, उज्ज्वल पंडित, अमित राठी मोरना, मुकेश त्यागी

  • स्थानीय कार्यकर्ता अंकुर राणा, राम सिंह, अमित गुप्ता, शंकर सिंह भोला, दिनेश कुमार, चेतन देव विश्वकर्मा, सुभाष चौहान, सतपाल मान, लोकेश सेनी

  • और विभिन्न हिंदू संगठनों से जुड़े कई पदाधिकारी

उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक बड़े मंच और सामूहिक शक्ति का स्वरूप दिया।

Shuktipeeth Dharma Parliament में उठी मांगें—चाहे वह सनातन धर्म बोर्ड का गठन हो, जनसंख्या नियंत्रण कानून हो, या सांस्कृतिक जागरण अभियान—इन सभी ने यह स्पष्ट किया कि समाज में कई धार्मिक और सामाजिक वर्ग देश में स्थिरता, सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण को लेकर गंभीर हैं। हनुमद्धाम में उमड़ी भारी भीड़ ने संकेत दिया कि इन विषयों पर आगे भी व्यापक चर्चाएँ जारी रहेंगी और समाज अपने दृष्टिकोण को संगठित ढंग से प्रस्तुत करता रहेगा।

 



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