Muzaffarnagar के नदी घाट पर स्थित प्राचीनतम सिद्धपीठ देवी मंदिर के वार्षिकोत्सव (मेले) में इस बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मां शाकुम्भरी और मां बाला सुंदरी की इस संयुक्त पीठ पर आस्था और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला।
सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी रहीं। नारियल, चुनरी, हलवा-पूरी, छत्र, फूल और श्रृंगार का सामान लेकर पहुंचे श्रद्धालुओं ने माता का दर्शन कर अपने संकट हरने और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की। मंदिर परिसर में शंख, घंटों और जयकारों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
🔥 विशेष पूजा और वार्षिक चमत्कारी भभूत का वितरण
मंदिर के मुख्य सेवक पंडित संजय कुमार ने बताया कि सिद्धपीठ मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन वार्षिकोत्सव पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस बार भी मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष पूजन, हवन, और भजन-कीर्तन की व्यवस्था करवाई।
सबसे आकर्षण का केंद्र रहा चमत्कारी भभूत का वितरण। कहा जाता है कि इस भभूत को लगाने और माता से प्रार्थना करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। भक्तों ने श्रद्धा भाव से इस दुर्लभ प्रसाद को ग्रहण किया और अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया।
🌟 नवरात्रों में होती है विशेष पूजा, भक्तों की अपार आस्था
मंदिर समिति के अनुसार, यहां हर माह की अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी पर विशेष पूजा का आयोजन होता है, लेकिन नवरात्रों में इस मंदिर की रौनक देखने लायक होती है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। माता के दरबार में आकर भक्त अपनी सुख-समृद्धि, विवाह, संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य और धन-संपदा की कामना करते हैं।
📜 मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा – कैसे हुआ सिद्धपीठ का प्राकट्य?
मान्यता के अनुसार, सैकड़ों साल पहले जब इस क्षेत्र में महामारी फैली, तब भक्तों की अविरल प्रार्थना के कारण माता स्वयं प्रकट हुईं और उन्होंने अपने चमत्कारी आशीर्वाद से महामारी को समाप्त कर दिया।
माता ने कहा था कि जो भी श्रद्धालु होली के बाद इस स्थान पर आकर उनकी पूजा करेगा, उसे अवश्य ही मनवांछित फल की प्राप्ति होगी। तभी से हर वर्ष सिद्धपीठ के वार्षिकोत्सव के रूप में यह मेला आयोजित किया जाता है।
आज भी माता का यह दरबार अनगिनत भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है और यहां मांगी गई मन्नतें पूरी होने के असंख्य प्रमाण मिलते हैं।
🛕 मेला स्थल पर भक्तों की धूम, श्रद्धा में डूबा पूरा शहर
सिद्धपीठ मंदिर का वार्षिकोत्सव एक बड़े मेले का रूप ले चुका है। इस मेले में न सिर्फ धार्मिक आस्था जुड़ी होती है, बल्कि स्थानीय बाजारों में भी व्यापार और रौनक अपने चरम पर होती है।
मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधाओं के विशेष इंतजाम किए गए थे। भक्तों के लिए जल सेवा, प्रसाद वितरण, चिकित्सा सुविधा और बच्चों के मनोरंजन के लिए विशेष झूले भी लगाए गए।
मंदिर समिति के पंडित महेश कुमार, शैंकी मिश्रा, पंडित संजय कुमार ने बताया कि पूरे आयोजन की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विशेष टीम तैयार की गई थी।
💥 प्रमुख श्रद्धालु और आयोजन समिति के योगदान
इस भव्य आयोजन में पं. रमन शर्मा, सोनू शांडिल्य, बॉबी शर्मा समेत कई श्रद्धालुओं और समिति के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की।
मंदिर समिति ने सभी भक्तों से अपील की कि वे इस धार्मिक आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और आस्था की इस परंपरा को आगे बढ़ाएं।
🙏 मां शाकुम्भरी और मां बाला सुंदरी का आशीर्वाद सब पर बना रहे! 🙏
इस ऐतिहासिक सिद्धपीठ की महिमा अपार है और जो भी सच्चे मन से यहां आता है, वह मां के आशीर्वाद से खाली हाथ नहीं लौटता।
इस वार्षिकोत्सव में शामिल होकर श्रद्धालुओं ने अपनी भक्ति को साकार किया और माता रानी से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। अगले वर्ष इस मेले में और भी अधिक भव्यता और भक्तों की बढ़ती संख्या देखने को मिलेगी।