Muzaffarnagar  शाहपुर क्षेत्र का ऐतिहासिक गांव सौरम इन दिनों देशभर की सुर्खियों में है। यहां आयोजित सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत के दूसरे दिन का वातावरण पूरी तरह ऊर्जा, परंपरा और खाप नेतृत्व की गरिमा से भरा रहा। देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे किसान नेताओं, संगठनों और खापों के प्रतिनिधियों के बीच जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी का विशेष स्वागत किया गया।
सौरम की मिट्टी पर उमड़ा यह विशाल जनसमूह स्थानीय परंपराओं, किसान राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों के विलक्षण मेल को दर्शाता है।

उपमुख्यमंत्री चौधरी ने मंच संभालते ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह इस महापंचायत में “अपने लोगों के बीच, अपनी परंपरा के बीच और अपने बुजुर्गों के आशीर्वाद के बीच” उपस्थित हैं।
इस दौरान उन्होंने ‘Sauram Mahapanchayat’ (Focus keyword) को लोकतांत्रिक एकजुटता का बड़ा प्रतीक बताते हुए इसकी ऐतिहासिकता का विस्तार से उल्लेख किया।


खाप नेतृत्व की मौजूदगी में डिप्टी सीएम का संबोधन—बुजुर्गों का आशीर्वाद सबसे बड़ा मार्गदर्शन

सौरम की धरती पर पहुंचने के बाद उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि—
“हमें अपने देश, अपनी भूमि और अपने बड़े-बुजुर्गों पर गर्व है। जब भी इतिहास लिखा जाएगा, यह शौर्य, त्याग और सच्चाई से भरा लिखा जाएगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों, जवानों और ग्रामीण समाज की भूमिका भारत की आत्मा में बसती है।
अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि वे सर्वखाप महापंचायत द्वारा दिए गए किसी भी निर्णय या दिशा-निर्देश को स्वीकार करेंगे।
उन्होंने उपस्थित समुदाय को यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि—

  • क्या हम बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत के सपनों को साकार कर रहे हैं?

  • क्या किसान मसीहा चौ. चरण सिंह की कृषि-आधारित लोकतांत्रिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं?

  • क्या युवा पीढ़ी किसान आंदोलन और किसान समाज की गरिमा समझ पा रही है?

उनके इन सवालों ने न सिर्फ किसानों को भावुक किया बल्कि महापंचायत में बैठे हर प्रतिनिधि को सोचने पर मजबूर किया।


“हम गरीब थे, पर झुके नहीं”—उपमुख्यमंत्री के शब्दों से तालियों की गड़गड़ाहट

अपने वक्तव्य के बीच सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि भारतीय समाज ने हमेशा संघर्षों का सामना किया है।
उन्होंने कहा कि—
“हम गरीब थे, पर झुके नहीं। और अब झुकेंगे भी नहीं। देश की शान, तिरंगे की गरिमा और बुजुर्गों की मर्यादा के लिए डटकर खड़े रहना हमारा कर्तव्य है।”

यह घोषणा सुनकर महापंचायत स्थल जयघोषों से गूंज उठा।
यहां मौजूद महिलाएं, किसान, युवा और खाप चौधरी सभी ने तालियों और नारों से उनका स्वागत किया।


Sauram Mahapanchayat: बुजुर्गों की विरासत और नई पीढ़ी का संकल्प

अपने पूरे भाषण में उपमुख्यमंत्री लगातार अपने बुजुर्गों, पूर्वजों और किसानों के सम्मान की बात करते रहे।
उन्होंने कहा कि—

  • बुजुर्गों का आशीर्वाद जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है

  • उनके बताए मार्ग पर चलना हमें समाज में स्थिरता देता है

  • खाप व्यवस्था की मूल भावना एकता, न्याय और सामाजिक संतुलन है

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यहां आने का अवसर भाकियू अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत और नेता सुभाष चौधरी के आमंत्रण पर मिला, और यह उनके लिए गर्व का विषय है।


इतिहास का हिस्सा बनना सम्मान—उपमुख्यमंत्री बोले: “आपके बीच आना सौभाग्य”

सुरेन्द्र चौधरी ने स्वीकार किया कि उन्होंने वर्षों से सर्वखाप महापंचायत की प्रतिष्ठा के बारे में सुना था, और जो कुछ सुना था, उससे कहीं अधिक विशालता उन्हें अपनी आंखों से देखने को मिली।
उन्होंने कहा कि—
“आप सभी के आशीर्वाद से मुझे आपके बीच रहने का अवसर मिला। यह मेरे जीवन का सौभाग्य है कि मैं अपने किसान भाइयों और बुजुर्गों की सभा में खड़ा हूं।”

उनके भाषण के दौरान कई बार “जय जवान-जय किसान” के नारे लगे, जिन्हें उन्होंने स्वयं मंच से आगे बढ़ाया।


किसानों की देशरक्षा और बलिदान का सम्मान—उपमुख्यमंत्री का विशेष उल्लेख

सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि यहां उपस्थित किसानों ने न सिर्फ खेतों को संभाला है बल्कि सीमाओं की रक्षा के लिए अपने जवान बेटों को भी भेजा है।
उन्होंने भावुक होकर कहा—
“मैं भी एक फौजी का बेटा हूं। इसलिए यहां आया हूं। क्योंकि मैं इस मिट्टी की ताकत और किसानों की देशभक्ति को समझता हूं।”

उन्होंने यह भी कहा कि देश की आजादी में किसानों और ग्रामीण समाज का योगदान अमर है, और नई पीढ़ी को इस विरासत को आगे बढ़ाना होगा।


भाकियू, खाप चौधरियों और राजनेताओं की बड़ी मौजूदगी—महापंचायत में दिखी एकजुटता

महापंचायत में देशभर से आए कई प्रमुख नेता मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे—

  • भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत

  • भाकियू प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत

  • पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान

  • मंत्री कपिलदेव अग्रवाल

  • पूर्व सांसद भारतेन्दु सिंह

  • किसान संगठनों के कई प्रतिनिधि

  • विभिन्न खापों के चौधरी एवं थाम्बेदार

इन सभी की मौजूदगी ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि खेती-किसानी, ग्रामीण परंपरा और सामाजिक एकजुटता के सवाल पर सभी मतभेद पीछे छूट जाते हैं।


थाम्बेदारों और खाप चौधरियों की बड़ी भागीदारी—ग्राम्य नेतृत्व की शक्ति का अनूठा प्रदर्शन

महापंचायत में इन प्रमुख व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई—
चौ. विवेक सिंह, बाबा प्रमेन्द्र आर्य, चौ. शरणवीर सिंह, चौ. हुकम सिंह, चौ. सुखपाल सिंह, चौ. सचिन जावला, चौ. बिजेंद्र सिंह लाटियान, अजय चौधरी, चौ. गजेन्द्र अहलावत, चौ. महकार अहलावत, चौ. अमित बेनीवाल, किसान चिंतक कमल मित्तल, चौ. घनश्याम शर्मा, देवेन्द्र सिंह, स. राजेंद्र सिंह, चौ. रामनारायण, डॉ. आदित्य सिंह, ललित सिंह गुर्जर, कंवरपाल सिंह, देवेन्द्र सिंह थोर आदि।

उनकी उपस्थिति ने इस Sauram Mahapanchayat को एक मजबूत सामाजिक-राजनीतिक स्वरूप दिया।


हेलीकॉप्टर से पहुंचे J&K के डिप्टी सीएम—सौरम में अभूतपूर्व स्वागत

महापंचायत के दूसरे दिन का सबसे बड़ा आकर्षण यह रहा कि जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी विशेष रूप से हेलीकॉप्टर द्वारा गांव सौरम पहुंचे।
उनके आगमन पर—

  • भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत,

  • गौरव टिकैत,

  • और अन्य किसान नेताओं ने
    उन्हें हैलीपैड पर गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया।

इसके तुरंत बाद उन्हें सौरम की ऐतिहासिक चौपाल पर ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर सम्मानित किया गया।
यह दृश्य महापंचायत के गौरव और गरिमा का प्रतीक बन गया।

इसके बाद उनका काफिला उन्हें मंच तक ले गया, जहाँ हजारों किसानों ने गर्मजोशी से उनका अभिवादन किया।


देशभर के किसान संगठनों का मिलन—महापंचायत बनी एकता का विशाल केंद्र

सौरम महापंचायत का यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि—

  • देशभर के किसान संगठन अपनी साझा चिंताओं को खुलकर सामने रख रहे हैं

  • ग्रामीण नेतृत्व की ताकत आज भी जीवंत है

  • सामाजिक सम्मान और परंपरा का मूल्य किसी भी राजनीति से बड़ा है

जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री का आगमन इस पूरे आयोजन को राष्ट्रव्यापी महत्व प्रदान करता है।


सौरम की यह सर्वखाप महापंचायत केवल एक सभा नहीं, बल्कि ग्रामीण आत्मगौरव, किसान एकता, और राष्ट्रीय सम्मान की शानदार मिसाल बनकर उभरी है। जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी का भव्य स्वागत, खाप नेतृत्व की भारी मौजूदगी और हजारों किसानों का उत्साह यह दिखाता है कि ग्रामीण भारत आज भी परंपरा, साहस और एकजुटता की सबसे मजबूत धुरी है। आने वाले वर्षों में यह Mahapanchayat किसान समाज और राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच भरोसे और सहयोग का एक नया अध्याय लिखने का आधार बनेगी।

 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *