Muzaffarnagar मोरना तहसील के छछरौली क्षेत्र के भोकरहेड़ी गांव में सोमवार रात चोरों ने एक के बाद एक तीन किसानों के नलकूपों को निशाना बनाकर हजारों रुपये के उपकरण उड़ा लिए। इस वारदात से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। केबल, स्टार्टर और कटआउट जैसी महंगी वस्तुएं चोरी होने से किसानों में भारी गुस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस अब तक ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है।
किसानों ने बताया — रात में सुनाई दी हलचल, सुबह उजड़ा ट्यूबवेल
भोकरहेड़ी निवासी मदन चेयरमैन ने बताया कि सुबह जब वह अपने नलकूप पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि दीवार टूटी हुई है और अंदर से उपकरण गायब हैं। चोरी में केबल, स्टार्टर और कटआउट समेत पूरा नियंत्रण सिस्टम उखाड़ ले जाया गया था।
इसी तरह किसान भूपेंद्र लंबरदार और किसान सुधीर के नलकूपों से भी यही सामान चोरी हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि बीती रात कुछ अजनबी लोगों की आवाजाही देखी गई थी, लेकिन अंधेरे में कोई चेहरा पहचान में नहीं आया।
लगातार चोरियों से किसान परेशान – खेत की रखवाली में जाग रहे ग्रामीण
पिछले कुछ हफ्तों से छछरौली, भोकरहेड़ी और आसपास के इलाकों में नलकूपों पर चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं। किसान अब रातभर खेतों में चौकीदारी करने को मजबूर हैं।
किसानों का कहना है कि चोर बिजली के उपकरणों को निशाना बना रहे हैं क्योंकि इनकी बाजार में ऊंची कीमत मिल जाती है।
एक स्थानीय किसान ने कहा, “हमने अपने पसीने की कमाई से ये मशीनें लगाई हैं, अब हर रात डर लगता है कि कहीं फिर चोरी न हो जाए।”
पुलिस मौके पर पहुंची, जांच शुरू — जल्द होगा खुलासा: थाना प्रभारी
सूचना मिलते ही भोपा थाना प्रभारी निरीक्षक जसवीर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं और संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ जारी है।
थाना प्रभारी ने कहा, “हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही घटना का खुलासा किया जाए। अपराधियों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा।”
ग्रामीणों ने जताया रोष — “रात में गश्त बढ़ाई जाए”
भोकरहेड़ी और आसपास के गांवों के किसानों ने पुलिस प्रशासन से रात में गश्त बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सामूहिक रूप से थाने पर प्रदर्शन करेंगे।
ग्राम प्रधान ने भी किसानों के साथ मिलकर ज्ञापन देने की तैयारी शुरू कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि चोर बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा हो सकते हैं, जो बिजली के उपकरणों की चोरी करके उन्हें दूसरे जिलों में बेचते हैं।
चोरों का नया निशाना — खेतों के नलकूप और ट्रांसफार्मर
स्थानीय लोगों के मुताबिक अब चोरी की वारदातें सिर्फ घरों या दुकानों तक सीमित नहीं रहीं। चोर खेतों में लगे ट्रांसफार्मर और नलकूपों को टारगेट कर रहे हैं।
पिछले महीने भी आसपास के गांवों में इसी तरह की घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें किसानों को लाखों का नुकसान हुआ था। बिजली विभाग ने भी अब ऐसे स्थानों पर चौकीदार या सीसीटीवी लगाने की सलाह दी है।
कृषि सीजन पर असर — पानी की कमी से फसलें खतरे में
किसानों ने बताया कि नलकूपों से चोरी के कारण सिंचाई कार्य बाधित हो गया है। गन्ना, गेहूं और सरसों जैसी फसलों को इस समय पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उपकरण चोरी हो जाने से उन्हें भारी नुकसान का डर है।
किसानों ने कहा कि जब तक उपकरण वापस नहीं मिल जाते, तब तक उन्हें डीजल इंजन या किराए के पंप सेट से काम चलाना पड़ रहा है, जिससे खर्च तीन गुना बढ़ गया है।
पुलिस सूत्रों का दावा — इलाके में सक्रिय हैं पुराने अपराधी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, भोकरहेड़ी और आसपास के गांवों में कुछ पुराने आवारा अपराधी गिरोह सक्रिय हैं जो रात के अंधेरे में खेतों को टारगेट करते हैं।
एसओजी और स्थानीय पुलिस की टीम अब जिले की सीमाओं पर नाकाबंदी कर संदिग्ध वाहनों की जांच कर रही है। कुछ संदिग्धों के मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड्स भी ट्रैक किए जा रहे हैं।
किसानों की मांग — “कड़ी सजा मिले ताकि दूसरों को सबक सिखाया जा सके”
गांव के बुजुर्ग किसान रामपाल सिंह ने कहा कि, “अगर पुलिस इन चोरों को जल्द पकड़कर सख्त सजा दिलाएगी, तभी बाकी अपराधी डरेंगे। वरना ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा।” किसानों ने पुलिस से यह भी अनुरोध किया है कि क्षेत्र में स्थायी चौकी बनाई जाए ताकि लगातार गश्त होती रहे।
भोकरहेड़ी में नलकूप चोरी की यह वारदात केवल तीन किसानों का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों की सुरक्षा और आजीविका का सवाल है। पुलिस की जांच जारी है, लेकिन ग्रामीणों की आंखों में अभी भी भय और असुरक्षा झलक रही है। प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर उदाहरण पेश किया जाएगा, ताकि किसान निश्चिंत होकर अपनी फसल सींच सकें और गांवों में फिर से चैन लौट सके।
