मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar): धार्मिक और सांस्कृतिक सौहार्द का अनूठा दृश्य सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में देखने को मिला, जब 54 साल पुराने शिव मंदिर में शुद्धिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने महंत स्वामी यशवीर जी महाराज और अन्य हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों का फूलों की वर्षा करके भव्य स्वागत किया। इस घटना ने धार्मिक एकता और आपसी सद्भाव का एक प्रेरणादायक संदेश दिया।

मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति

मुजफ्फरनगर के थाना शहर कोतवाली क्षेत्र के लद्धावाला इलाके में स्थित यह शिव मंदिर 1970 में स्थापित किया गया था। उस समय यह इलाका हिंदू आबादी वाला क्षेत्र था। लेकिन बीते पांच दशकों में, इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का बहुमत हो गया और हिंदू परिवार यहां से पलायन कर गए। आज के समय में, मंदिर के आसपास एक भी हिंदू परिवार नहीं रहता।

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मंदिर पिछले 54 वर्षों से उपेक्षित था और खंडहर में तब्दील हो चुका था। लेकिन इस दौरान, मंदिर की साफ-सफाई और देखभाल का जिम्मा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उठाया। उनके द्वारा मंदिर की सजावट और संरक्षण का कार्य यह दर्शाता है कि धर्म की सीमाएं इंसानियत के आगे छोटी पड़ जाती हैं।

शुद्धिकरण और पूजा-अर्चना कार्यक्रम

योग साधना आश्रम के महंत स्वामी यशवीर जी महाराज ने पहले ही घोषणा की थी कि वह इस मंदिर का शुद्धिकरण करेंगे। उनके इस कदम के लिए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया था। सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप और सीओ सिटी व्योम बिंदल के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात किया गया ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके।

सोमवार को, स्वामी यशवीर जी महाराज कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ मंदिर पहुंचे। वहां उन्होंने मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ मंदिर का शुद्धिकरण किया। इस दौरान मुस्लिम समुदाय ने उनका भव्य स्वागत किया और फूलों की वर्षा की।

मुस्लिम समाज का बयान: सौहार्द का संदेश

मंदिर के आसपास के मुस्लिम निवासियों ने इस पहल का स्वागत किया। एक निवासी ने कहा, “यह मंदिर हमारी गली का हिस्सा है। यह हमारे लिए केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर है। हमें इस बात की खुशी है कि अब यहां पूजा-अर्चना शुरू होगी। हम चाहते हैं कि मंदिर को पुनः स्थापित किया जाए और इसे संरक्षित किया जाए।”

भविष्य की योजनाएं: मूर्ति स्थापना और भंडारा

महंत स्वामी यशवीर जी महाराज ने कहा, “हमने मंदिर का शुद्धिकरण कर दिया है। अब जल्द ही सनातन धर्म के अनुयायियों से विचार-विमर्श के बाद शिवलिंग और अन्य मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही, भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।”

अतिक्रमण पर महंत का बयान

मंदिर परिसर में कथित अतिक्रमण को लेकर भी महंत ने अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्थानीय निवासियों से अपील की कि वे स्वेच्छा से अतिक्रमण हटा लें। उन्होंने प्रशासन से भी इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया।

अन्य घटनाओं से तुलना

उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों, जैसे वाराणसी और संभल, में भी हाल के वर्षों में कई पौराणिक मंदिरों की खोज और पुनर्स्थापना हुई है। इन घटनाओं ने न केवल धार्मिक विश्वास को सुदृढ़ किया है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रति लोगों को प्रेरित भी किया है।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका

पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने हर स्थिति पर नजर बनाए रखी। सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप और सीओ सिटी व्योम बिंदल ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उनकी मुस्तैदी से यह सुनिश्चित हुआ कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

यह घटना केवल धार्मिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है, जहां दो समुदायों ने मिलकर एक ऐतिहासिक स्थल को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि जब लोग आपसी मतभेदों को भूलकर साथ आते हैं, तो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक संतुलन भी मजबूत होता है।

54 साल पुराने शिव मंदिर का शुद्धिकरण और उसके प्रति मुस्लिम समाज की सहभागिता एक ऐसी मिसाल है, जो धार्मिक सौहार्द और सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाती है। यह घटना अन्य समुदायों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।



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