जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority – DLSA) के बैनर तले एसडी इंजीनियरिंग कॉलेज, जानसठ रोड, मुजफ्फरनगर में यह विधिक साक्षरता शिविर आयोजित हुआ। शिविर की अध्यक्षता जनपद न्यायाधीश डॉ अजय कुमार के निर्देशन में की गई, और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एडीजे एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रितिश सचदेवा ने विशेष रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
बाल विवाह के खिलाफ मुहिम में एकजुटता
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके की गई। मंच पर विशेष रूप से मौजूद थीं मिशन शक्ति कोऑर्डिनेटर श्रीमती बीना शर्मा, एक्सेस टू जस्टिस प्रोजेक्ट के लीडर गजेंद्र सिंह, और कॉलेज निदेशक। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ छात्राओं में कानूनी जागरूकता का बीजारोपण किया, बल्कि समाज में वर्षों से जड़ें जमाए हुए बाल विवाह जैसे सामाजिक अपराध के खिलाफ कड़े संदेश भी दिए।
कानूनी जानकारी से बेटियों को मिली शक्ति
मुख्य अतिथि एडीजे रितिश सचदेवा ने छात्राओं से संवाद करते हुए उन्हें कानून के प्रति जागरूक किया। उन्होंने बाल विवाह की गंभीरता को समझाते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की या 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी करना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह भविष्य के लिए खतरनाक भी है। ऐसे अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को ₹2,00,000 तक का जुर्माना और 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
उन्होंने छात्राओं से अपील की कि वे किसी भी ऐसे प्रयास या प्रथा को न केवल नकारें बल्कि उसके खिलाफ आवाज उठाएं।
मिशन शक्ति से मिला बल
विशिष्ट अतिथि श्रीमती बीना शर्मा ने महिलाओं से जुड़ी हेल्पलाइन सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे हेल्पलाइन नंबर जैसे:
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वूमेन पावर लाइन – 1090
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पुलिस इमरजेंसी – 112
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चाइल्ड हेल्पलाइन – 1098
इन पर कभी भी कॉल करके मदद ली जा सकती है। उन्होंने यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, और लैंगिक भेदभाव से जुड़े विषयों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी कहा कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” सिर्फ नारा नहीं, एक जिम्मेदारी है, जिसे समाज के हर वर्ग को मिलकर निभाना होगा।
गांव-गांव में फैले बाल विवाह के खिलाफ चेतना
गजेंद्र सिंह, जो एक्सेस टू जस्टिस संस्था से जुड़े हैं, उन्होंने ग्रामीण भारत में अब भी प्रचलित बाल विवाह प्रथा पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया जैसे शुभ अवसरों पर ग्रामीण इलाकों में बड़े स्तर पर बाल विवाह होते हैं। इसे रोकने के लिए आम नागरिकों को सतर्क और सजग होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी ऐसा विवाह होते दिखे, तो चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और 112 पर तुरंत सूचना दी जाए। इससे न केवल एक बच्ची का जीवन बचाया जा सकता है, बल्कि एक पूरे समाज की दिशा भी बदली जा सकती है।
हिम्मत और चेतना की शपथ
कार्यक्रम के समापन में गजेंद्र सिंह द्वारा बालिकाओं को शपथ दिलाई गई — “हम न केवल स्वयं बाल विवाह से इंकार करेंगे, बल्कि अपने आसपास होने वाले ऐसे प्रयासों का विरोध भी करेंगे।”
यह संकल्प सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की नींव है।
अतिथियों का सम्मान और पुलिस की सक्रियता
विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ प्रगति शर्मा ने सभी अतिथियों को सम्मानित करते हुए उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विद्यालयों में नियमित रूप से होने चाहिए जिससे छात्र-छात्राओं में सामाजिक और कानूनी जागरूकता का स्तर बढ़े।
इस अवसर पर थाना मानव तस्करी विरोधी इकाई से हेड कांस्टेबल अमरजीत जी, थाना प्रभारी सर्वेश कुमार, पैरालीगल वॉलंटियर धनीराम जी एवं शिक्षक गौरव मालिक भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
देशभर में ऐसे अभियान की जरूरत
मुजफ्फरनगर की यह घटना सिर्फ एक जिला विशेष का मामला नहीं है। देश के तमाम ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में आज भी सामाजिक रीति-रिवाज और अज्ञानता की वजह से मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाई जाती है। ऐसे में एडीजे रितिश सचदेवा, श्रीमती बीना शर्मा, और गजेंद्र सिंह जैसे सामाजिक प्रहरी यदि हर जिले में सक्रिय हो जाएं तो एक मजबूत और बाल विवाह मुक्त भारत का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।