Muzaffarnagar News । जिला चिकित्सालय परिसर के रेडक्रॉस भवन में मंगलवार को एक विशेष आयोजन हुआ, जिसने न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य जागरूकता की नई लहर दौड़ा दी। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर जिला क्षय रोग विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में युवाओं, चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और समाजसेवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था – टीबी (क्षय रोग) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, रोगियों की पहचान करना और उन्हें उपचार के लिए प्रेरित करना।
मुख्य अतिथि का स्वागत और संदेश
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाल का सीएमओ डॉ. सुनील तेवतिया ने बुके भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने युवाओं से अपील की कि वे समाज में गंभीर बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाएं।
डॉ. तेवतिया ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि जिले के डेढ़ सौ गांवों को इस अभियान में विशेष रूप से चिन्हित किया गया है। प्रत्येक गांव में आशा कार्यकर्ता 15-15 घरों का चयन करेंगी, जिससे कुल 6250 घरों को कवर किया जाएगा। इसके अलावा उच्च प्राथमिक विद्यालयों और डिग्री कॉलेजों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा, ताकि युवा वर्ग को बीमारी के लक्षण और रोकथाम के तरीकों की सही जानकारी मिल सके।
2 महीने का अभियान और 9081 केस खोजने का लक्ष्य
इस वर्ष का लक्ष्य है – 9081 टीबी रोगियों की पहचान। इस खोज अभियान में विशेष रूप से एचआईवी और टीबी रोगियों पर फोकस किया जाएगा। डॉ. तेवतिया ने बताया कि थर्ड जेंडर समुदाय की भी जांच इस अभियान का हिस्सा होगी, ताकि किसी भी वर्ग को इससे अछूता न रखा जाए।
अब तक 6500 रोगियों की पहचान हो चुकी है, जबकि 4500 रोगियों को गोद भी लिया गया है। “टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषण पोटली देना और इलाज में मदद करना, इस अभियान का मानवीय पहलू है,” उन्होंने कहा।
अगले कदम और विशेष आयोजन
इस जागरूकता कार्यक्रम की कड़ी में 19 अगस्त को राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में पुष्प प्रदर्शनी और मैराथन दौड़ का आयोजन होगा। इन आयोजनों का उद्देश्य है कि लोग न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों, बल्कि सक्रिय जीवनशैली अपनाकर रोगों से बचें।
डॉ. तेवतिया ने जिले की जनता से आग्रह किया कि वे छोटे-मोटे रोगों के इलाज के लिए जिले के 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का उपयोग करें। इससे जिला चिकित्सालय में मरीजों का दबाव कम होगा और गंभीर रोगियों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
युवा शक्ति से बदल सकती है तस्वीर
इस पूरे कार्यक्रम में एक बात साफ झलक रही थी – अगर युवा पीढ़ी स्वास्थ्य अभियानों में सक्रिय रूप से जुड़ जाए, तो न केवल टीबी बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है। यह अभियान सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बनने की क्षमता रखता है।
मौजूद रहे महत्वपूर्ण चेहरे
इस अवसर पर एसीएमओ डॉ. लोकेश चंद्रा, एसीएमओ डॉ. प्रशांत कुमार, जिला स्वास्थ्य सूचना अधिकारी डॉ. गीतांजलि वर्मा और अन्य चिकित्साधिकारी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर इस बात पर जोर दिया कि टीबी जैसी बीमारी से लड़ने के लिए सामाजिक सहयोग, सरकारी प्रयास और व्यक्तिगत जिम्मेदारी – तीनों की समान भूमिका है।
मुजफ्फरनगर का यह स्वास्थ्य अभियान आने वाले दो महीनों में हजारों घरों तक पहुंचेगा और लोगों को टीबी जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ खड़ा करेगा। 9081 रोगियों की पहचान और उनके इलाज का यह लक्ष्य सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि एक जीवन बचाने का संकल्प है। अगर आप भी इस प्रयास का हिस्सा बनते हैं, तो आप किसी की जिंदगी में रोशनी भर सकते हैं।