Muzaffarnagar में एक बार खुलने को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जिससे न केवल विद्यार्थियों बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में गहरी नाराजगी फैल गई है। यह मामला नगर के भोपा रोड स्थित मैनेजमेंट कॉलेज के पास एक शराब की दुकान (बार) के खुलने से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर संयुक्त हिंदू मोर्चा और अन्य संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। संगठनों का कहना है कि जहां यह बार खोला गया है, वहां से कुछ ही दूरी पर कई प्रमुख शिक्षण संस्थाएं स्थित हैं, जिनमें एस डी मैनेजमेंट कॉलेज, एस डी डिग्री कॉलेज और स्वामी कल्याण देव जी द्वारा स्थापित गांधी पॉलिटेक्निक शामिल हैं। इन कॉलेजों और संस्थाओं में हजारों छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, और ऐसे स्थान पर शराब का बार खुलना समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है।
संयुक्त हिंदू मोर्चा के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है, जिसमें संगठन के प्रमुख पदाधिकारी और स्थानीय नेता प्रशासन से इस बार को हटाने की मांग कर रहे हैं। संगठन के अध्यक्ष मनोज सैनी और शिव सेना के प्रदेश महासचिव डॉ. योगेंद्र शर्मा ने कहा कि जिस प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे साधू संत का शासन हो, उस राज्य में शिक्षण संस्थाओं के पास शराब के बार का खोलना बेहद अफसोसजनक है। उनका कहना है कि इस कदम से विद्यार्थियों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और समाज में एक गलत संदेश जाएगा।
विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन के दौरान यह भी बताया गया कि जनपद में बार खुलने से समाज के अन्य वर्गों में भी गहरी नाराजगी उत्पन्न हो रही है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह कदम न केवल समाज के लिए खतरनाक हो सकता है, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन और उनके भविष्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। उनका मानना है कि यदि इस बार को शीघ्रता से हटाया नहीं गया तो आगामी दिनों में सरकार के मंत्रियों का घेराव किया जाएगा और विरोध को और तेज किया जाएगा।
इस मुद्दे पर मंडल अध्यक्ष लोकेश सैनी और जिला अध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस बार के खुलने से छात्र-छात्राओं के लिए अनुशासन और शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। साथ ही, जनपद के गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस फैसले के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस बार को खोलने से शहर की शांति और सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है, क्योंकि शराब के बार के आसपास अक्सर अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं।
इसके अलावा, प्रदीप कोरी, राजेश कश्यप, अमरीश त्यागी, जितेंद्र गोस्वामी, आशीष शर्मा, गौतम कुमार और अन्य स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे पर प्रशासन से दखल देने की अपील की। इन नेताओं ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के पास शराब के बार का होना छात्र-छात्राओं को गुमराह कर सकता है और उनकी पढ़ाई में विघ्न डाल सकता है। इसके अलावा, यह एक सामाजिक बुराई को बढ़ावा देने का काम करेगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बार एक गलत दिशा में बढ़ते हुए कदम का प्रतीक बन सकता है, जिसे न केवल हटाना आवश्यक है, बल्कि इस तरह के निर्णय लेने से पहले समाज के विभिन्न वर्गों और विशेषकर विद्यार्थियों के हितों का ध्यान रखना चाहिए। कई विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है, क्योंकि उनका मानना है कि इस बार के खुलने से उनकी सुरक्षा और भविष्य दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।
संगठनों ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही प्रशासन ने इस बार को हटाने का कदम नहीं उठाया तो वे इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से उठाएंगे और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि अगर इस बार को नहीं हटाया गया, तो वे सरकार के मंत्रियों को घेरेंगे और इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की योजना बनाएंगे।
अंत में, यह मुद्दा केवल मुजफ्फरनगर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या शिक्षण संस्थाओं के पास इस तरह के प्रतिष्ठान खोले जाने चाहिए? क्या यह समाज के हित में है कि ऐसे स्थानों पर शराब की दुकानें खोली जाएं? प्रशासन और स्थानीय नेताओं को इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों और समाज के अन्य वर्गों की सुरक्षा और भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
इस बीच, स्थानीय लोग और संगठनों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार को गंभीर विचार करना चाहिए और विद्यार्थियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए एक ठोस निर्णय लेना चाहिए।