Muzaffarnagar News उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में संविदा पर काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की पीड़ा अब सड़क से सरकार के गलियारों तक पहुंच चुकी है। उत्तर प्रदेशीय सफाई कर्मचारी संघ के सहारनपुर मण्डल प्रभारी दीपक गंभीर के नेतृत्व में कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से सफाई कर्मचारियों की दशा, दुर्दशा और उनकी न्यायोचित मांगों को मंत्री के समक्ष रखा गया।
19 साल की मेहनत, पर अब भी ठेका कर्मचारी: सरकार से उठी स्थायीत्व की मांग
2006 से लगातार कार्यरत संविदा सफाई कर्मचारी, ईमानदारी और समर्पण से नगर की सफाई व्यवस्था को बनाए रखने का कार्य कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद आज तक इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा स्थायी नहीं किया गया है। यह कर्मचारियों के लिए केवल एक अन्याय नहीं, बल्कि शोषण के बराबर है।
दीपक गंभीर ने मंत्री को बताया कि सरकार में बैठे लोगों ने आज तक अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की गंभीर मांग नहीं उठाई, जबकि यही कर्मचारी शहर को स्वच्छ और रोगमुक्त बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सातवें वेतन आयोग और वर्दी की मांग भी प्रमुख एजेंडे में
ज्ञापन में यह भी प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया कि छठे वेतन आयोग के अनुसार जो सुविधाएं दी गई थीं, उन्हें सातवें वेतन आयोग के अनुसार अपडेट किया जाना चाहिए। संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को मौसम के अनुसार वर्दी, भविष्य निधि, साप्ताहिक अवकाश आदि की सुविधा मिलनी चाहिए, जो शासनादेशों में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।
लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। मुजफ्फरनगर के नगर पंचायत बुढ़ाना, सिसौली, शाहपुर, मीरापुर, भोक्करेडी, पुरकाजी और जानसठ के सफाई कर्मियों को ये मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। केवल मुजफ्फरनगर नगर पालिका और खतौली नगर पालिका ही ऐसी हैं, जहां ये सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
साफ-सफाई में ही छिपा है स्वास्थ्य का राज, पर खुद सफाई कर्मी बदहाल
यह विरोधाभास बेहद चिंताजनक है कि जो कर्मी सफाई और स्वच्छता जैसे संवेदनशील कार्यों में जुटे हैं, वही आज खुद अपने अधिकारों और सुविधा से वंचित हैं।
संविदा सफाई कर्मचारियों को न तो पर्याप्त तनख्वाह मिल रही है, न ही स्वास्थ्य बीमा, पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ।
प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकार को अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए और जो कर्मचारी 19 वर्षों से बिना रुके सेवा दे रहे हैं, उन्हें स्थायीत्व का अधिकार देना चाहिए।
कर्मचारियों की ओर से ज़िला और नगर स्तर के पदाधिकारी भी रहे मौजूद
इस मौके पर मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष सुधीर घामा वाल्मीकि, गोपाल सुधाकर जिला महामंत्री, महानगर अध्यक्ष गौतम राम, सुनील सूद महामंत्री चरथावल, सोहनलाल नगर अध्यक्ष बुढ़ाना, मोहित सफाई नायक, मुकेश बुढ़ाना, अरुण कुमार नगर अध्यक्ष भोक्काहेड़ी, अशोक कांगड़ा, आलीशान सहित अनेक कर्मचारी नेताओं ने उपस्थिति दर्ज कराई। सभी ने एक सुर में सरकार से अपील की कि अब देर ना की जाए और संविदा सफाई कर्मचारियों को स्थाई करने की कार्यवाही शीघ्र शुरू की जाए।
कब मिलेगा सम्मान और स्थायीत्व? सफाई कर्मचारी पूछ रहे हैं जवाब
देशभर में जहां स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने की बात की जा रही है, वहां इन योद्धाओं को अगर बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाएगा, तो ये अभियान सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक ही सीमित रह जाएगा।
मुजफ्फरनगर और सहारनपुर मंडल के ये कर्मचारी अपने हक के लिए एकजुट हो चुके हैं और अब उन्होंने सरकार से अंतिम निर्णय की अपेक्षा की है। यदि सरकार इन मांगों पर गौर नहीं करती, तो जल्द ही राज्यव्यापी आंदोलन भी खड़ा हो सकता है, जिससे निकाय व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
मुजफ्फरनगर, सहारनपुर मंडल और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में कार्यरत हजारों संविदा सफाई कर्मचारियों की इस लड़ाई को केवल वेतन और स्थायीत्व की मांग के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह उनके सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है। अब सरकार पर जिम्मेदारी है कि वह अपने इन ‘स्वच्छता सैनिकों’ की मांगों को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र निर्णय ले।