कासगंज। जिला अस्पताल में बनाई गई स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में जन्मजात गंभीर रोगों से ग्रस्त नवजातों को इलाज नहीं दे पाती। यूनिट में बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होने से तमाम गंभीर नवजातों को अलीगढ़ के लिए रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में समय से इलाज न मिल पाने पर बच्चे की जान को खतरा पैदा हो जाता है तो वहीं उसके विकलांग होने का खतरा बना रहता है।
जिले में जन्मजात दोष के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को इलाज देने के लिए जिला अस्पताल में लगभग दो साल पहले एसएनसीयू यूनिट की स्थापना की गई। ताकि ऐसे बच्चों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े, लेकिन इस यूनिट में पीलिया, हाइपोथर्मिया व कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों का ही इलाज हो पाता है।
इनके अलावा बच्चों में ऐसे जन्मजात रोग भी होते हैं जिनकाे जन्म के 24 घंटे के भीतर इलाज की आवश्यकता होती है। यदि इस अवधि में बच्चे को इलाज न मिले तो उसकी जान जाने की संभावना पैदा हो जाती है। इसके साथ ही कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जिसमें बच्चों के बहरे होने, आंखों की रोशनी चली जाने एवं शरीर के अंग के विकलांग होने का खतरा पैदा हो जाता है, लेकिन ऐसे मरीजों को यूनिट में इलाज नहीं मिल पाता। ऐसे बच्चों को रेफर करना पड़ता है। इस साल अब तक इस यूनिट में आठ सौ बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें से दो सौ बच्चे रेफर किए गए। यूनिट में सबसे बड़ी कमी बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होना है। यूनिट में बाल रोग विशेषज्ञ के तीन पद हैं लेकिन एक भी पद भरा हुआ नहीं है।
नवजातों में सामने आती हैं जन्मजात ये समस्याएं
-न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
-डाउन सिंड़ोम
-कटे होठ व तालू
-मुड़े हुए पैर
-डेवल्प मेटल डिस्पेलेसिया ऑफ हिप
-जन्मजात मोतिया बिंद
-जन्मजात बहरापन
.जन्मजात हृदय रोग
-रेटिनोपैथी ऑफ प्रिमैचुरिटी .पीलिया
-सांस में अवरोध
-वजन कम होना
-पीलिया
-हाइपोथर्मिया
वर्जन
जन्म के समय सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य पैदा नहीं होते। बच्चों में कई तरह के जन्मजात रोग भी सामने आते है। जिला अस्पताल पर इसके लिए एसएनसीयू स्थापित है। इस यूनिट में पीलिया, सांस में अवरोध, वजन कम होने से जुड़ी समस्याओं के बच्चों का इलाज किया जाता है। अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त जन्म लेने वाले बच्चों को रेफर किया जाता है।-.डॉ. संजीव कुमार, सीएमएस