NGT seeks new report from Secretary Irrigation Department in Ganga pollution case

अदालत का फैसला।
– फोटो : अमर उजाला।

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एनजीटी ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए सचिव सिंचाई विभाग से नई रिपोर्ट मांगी है। साथ ही एडिशनल चीफ सेक्रेटरी इरिगेशन डिपार्टमेंट को अगली सुनवाई पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। वहीं सीडब्ल्यू के चेयरमैन और नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा के चेयरमैन को पक्षकार बनाते हुए एक सप्ताह में पक्ष रखने का निर्देश दिया है। साथ ही गंगा किनारे बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन जल्द से जल्द करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति डॉ. सैंथिल वेल ने यह आदेश दिया। अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने दलील प्रस्तुत की। न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता ने दलील दी कि गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर के अंदर किसी भी निर्माण पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। इसके बावजूद शहर के चारों तरफ गंगा-यमुना किनारे बड़ी संख्या में निर्माण हो गए हैं। इससे बरसात में गंगा में बाढ़ आने से सैकड़ों मकान पानी में डूब जाते हैं। इससे जानमाल का खतरा है।

आगे दलील दी कि गंगा का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है। कानपुर में कोमियम व सीवरेज जल गंगा में गिराया जा रहा है। प्रयागराज में 76 नालों से सीधे गंदा पानी गंगा में मिलाया जा रहा है। कोर्ट ने दलील सुनने के बाद बाढ़ क्षेत्र का प्रोबिटेड जोन, रेगुलेटरी जोन व वार्निंग जोन के हिसाब से सीमांकन करने का आदेश दिया। संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।



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