Nisha will travel from Gujarat to London by cycle to make people aware of environment.

इंडिया से लंदन जा रहीं निशा।
– फोटो : amar ujala

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एवरेस्ट फतह कर चुकीं पर्वतारोही निशा पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से गुजरात से चलकर लंदन साइकिल से जा रही हैं । शुक्रवार को पर्वतारोही निशा लखनऊ पहुंचीं। उन्हें रोटरी क्लब की ओर से सम्मानित किया गया। वह 17 देशों की 15000 किलोमीटर की यात्रा 180 दिनों में पूरा करने का प्रयास करेंगी। शनिवार को वह अयोध्या में रामलला का दर्शन करेंगी ।

निशा ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया, मैं 23 जून को गुजरात के वड़ोदरा से चली थी। प्रतिदिन 100 से 150 किलोमीटर की यात्रा करती हूं। पर्वतारोहण के दौरान मैंने जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम को देखा। इससे मन बेचैन हो गया। इसी के बाद मैंने गुजरात से लेकर लंदन तक प्रकृति संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने की ठानी। साइकिल से यात्रा के दौरान मैं लोगों को पौधे भी बांटती हूं। इसके लिए मैं पौधों का इंतजाम भी करती हूं।

साइकिलिंग को लेकर सवालों पर वह कहती हैं, मेरी दिनचर्या बहुत ही नियमित है। मैं सुबह 4 बजे उठ जाती हूं। रोजमर्रा के काम निपटाकर साइकिल लेकर चल पड़ती हूं। गंतव्य पर पहुंचने के बाद हमारा जागरूकता अभियान चालू हो जाता है और फिर उसके बाद विश्राम। लंदन तक के पड़ावों के सवाल पर वह कहती हैं, यहां से मुझे अयोध्या जाना है। वहां से नेपाल, चीन, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, लातविया, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस से होते हुए लंदन पहुंच जाऊंगी। (संवाद)

मैंने हमेशा अपने आपको जुनूनी व्यक्ति के तौर पर देखा

जुनून को लेकर सवाल पर निशा कहती हैं, मैं आदिवासी इलाके से हूं। हमारे इलाके में महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा के प्रति उतनी जागरूकता नहीं है। मैंने अपनी प्रिंसिपल से यह बात कही, तो उन्होंने उल्टा सवाल दाग दिया कि तुमने क्या करके दिखाया। इसके बाद मैंने ठान लिया कि कुछ करके जरूर दिखाऊंगी। पिछले साल 17 मई को एवरेस्ट फतह किया। अब गुजरात से लंदन जा रही हूं। मेरी उपलबि्ध पर प्रिंसिपल ने मुझे कई बार मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया।

– मैंने खुद को कभी लड़की या लड़के के तराजू में नहीं तोला। मैं अपने को जांबाज और जुनूनी व्यक्ति के रूप में देखती हूं। जहां चाहूं मैं वहां जा सकती हूं, क्योंकि जिस व्यक्ति के मन में अपने काम के प्रति दृढ़ संकल्प होता है, वह दुनिया के किसी भी कोने में जाकर के फतह हासिल कर सकता है।

सड़क किनारे हो शौचालय की व्यवस्था

निशा ने बताया कि यात्रा के दौरान शौचालय नहीं होने की वजह से कई बार उनको परेशानी का सामना करना पड़ा है। वह कहती हैं, कानपुर से लखनऊ आने के दौरान कई किलोमीटर तक मुझे शौचालय नहीं मिला। एक शौचालय मिला भी तो उसमें इतनी गंदगी थी कि बता नहीं सकती। यूपी सरकार को कुछ-कुछ किलोमीटर पर सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को कोई परेशानी न हो।



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