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कानपुर के एक तेल व्यापारी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस से 11 करोड़ रुपये का बीमा कराया। बीमा में स्वत: दहन रिस्क भी कवर था। पर स्वत: दहन से हुए नुकसान के बावजूद बीमा कंपनी ने 1.60 करोड़ रुपये का क्लेम खारिज कर दिया। राज्य उपभोक्ता आयोग में सुनवाई के दौरान कंपनी को ब्याज व क्षतिपूर्ति के रूप में 2.45 करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया गया।
राधेश्याम अग्रवाल ने नयागंज कानपुर में त्रिवेणी सोल्वेक्स प्रा.लि. नाम से एक फैक्टरी लगाई थी। इसमें वह महुआ बीज और खली से तेल आदि निकाल कर बेचते थे। उन्होंने द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से 11 करोड़ रुपये का बीमा स्टैंडर्ड फायर एंड स्पेशल पेरिल्स के तहत कराया था। इसमें सभी प्रकार के नुकसान शामिल थे। इसमें स्वत: दहन भी शामिल था। यह स्टाक में गर्मी अथवा आपसी घर्षण के कारण बिना आग लगाए उत्पन्न होने वाली ज्वलन प्रक्रिया होती है।
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28 दिसंबर 2019 को राधेश्याम को फैक्टरी से सूचना मिली कि उसके गोदाम में स्वत: दहन हो रहा है। उन्होंने हाईड्रेंट सिस्टम के जरिये आग पर काबू पाया। बाद में बीमा कंपनी को 1.60 करोड़ रुपये नुकसान का दावा क्षतिपूर्ति के लिए दिया। बीमा कंपनी ने जांच के बाद दावे को खारिज कर दिया।
राज्य उपभोक्ता आयोग में वाद दाखिल किया गया। राज्य आयोग के सदस्य राजेंद्र सिंह और विकास सक्सेना ने सुनवाई की। प्रिसाइडिंग जज राजेंद्र ने पाया कि यह मामला भी स्वत: दहन से संबंधित पाया गया, जो बीमा पालिसी का एक अंग है।
उन्होंने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह 1.60 करोड़ रुपये और इस पर 29 दिसंबर 2019 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज इस निर्णय के 30 दिन के भीतर परिवादी को अदा करे। साथ ही वाद व्यय के रूप एक लाख रुपये, सेवा में कमी की मद में 5 लाख और इस पर भी चार साल से 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। तीनों धनराशियों को मिलाने से कुल हर्जाना 2.45 करोड़ रुपये है।