उत्तर प्रदेश में कोषागारों में एक के बाद एक हो रहे घोटालों से सबक नहीं लिए जा रहे हैं। हरदोई में वर्ष 2009-16 के बीच हुए पांच करोड़ से ज्यादा के घोटाले में अभी तक वसूली नहीं हो पाई है। करीब ढाई साल पहले लखनऊ के कोषागार में हुए घपले में सिर्फ अकाउंटेंट पर कार्रवाई कर मामला रफा-दफा कर दिया गया। यही वजह है कि जहां भी ट्रेजरी में गंभीरता से जांच हो रही है, वहां घपले सामने आ रहे हैं।
चित्रकूट की ट्रेजरी में हाल ही में सामने आए करोड़ों के घपले को भी कमोबेश उसी तर्ज पर अंजाम दिया गया, जिस तरह से हरदोई में घोटाला किया गया था। फर्जी पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) तैयार करके ऑनलाइन एंट्री कर देना और फिर साल दर साल भुगतान करते रहना। जानकार बताते हैं कि ज्यादातर वरिष्ठ या मुख्य कोषाधिकारियों ने अपना सुपर यूजर कोड अकाउंटेंट (बाबुओं) को दे रखा है। जबकि, ऐसा करना नियमों का उल्लंघन है।
