
प्रो. विनय पाठक
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छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ कमीशनखोरी व अवैध वसूली का मुकदमा दर्ज करने के 14 माह बाद सीबीआई जांच के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय पहुंची। तीन दिनों तक विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ शिक्षकों से पूछताछ की। विश्वविद्यालय में कार्यवाहक कुलपति रहे प्रो. पाठक के कार्यकाल में की गई खरीद-फरोख्त के साथ भुगतान आदि के रिकार्ड भी देखे, कुछ रिकार्ड टीम अपने साथ ले गई।
सीबीआई की टीम 19 मार्च को दोपहर में ही विश्वविद्यालय पहुंच गई। टीम में एक अधिकारी व एक सहायक रहे। सूत्रों के मुताबिक मुकदमे में प्रो. पाठक के खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, उससे संबंधित रिकार्ड सीबीआई ने देखे। संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों व शिक्षकों से पूछताछ भी की। इसमें कॉलेजों को संबद्धता दिए जाने के साथ साॅफ्टवेयर खरीद सहित अन्य मामले शामिल हैं। टीम ने विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित अतिथि गृह में बुलाकर सभी से पूछताछ की। बुधवार रात 12 बजे तक अकाउंट विभाग से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी टीम के साथ ही रहे। बृहस्पतिवार को भी दोपहर तक सीबीआई के अधिकारी ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। मामले से जुड़े सवाल पूछे। शाम को टीम रवाना हुई।
ये है मामला
प्रो. विनय पाठक और उनके करीबी एक्सएनलआईसीटी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 29 अक्तूबर 2022 को रंगदारी, कमीशनखोरी व अवैध वसूली का केस दर्ज हुआ था। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में उस समय परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजिटेक्स टेक्नोलॉजिज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड मारिया डेनिस ने अजय मिश्रा के जरिए प्रो. पाठक पर 1.4 करोड़ रुपये कमीशन लेने सहित अन्य आरोप लगाए थे। पहले एसटीएफ ने मामले की जांच की। एसटीएफ की ओर से अजय मिश्रा सहित संतोष सिंह व अजय जैन की गिरफ्तारी भी की गई। प्रो. पाठक के कार्यकाल में आगरा, कानपुर व अन्य विवि में अनियमितता की बातें भी कही गईं। आगरा विवि के अधिकारियों व शिक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए थे। एसटीएफ की ओर से आरोप पत्र दाखिल करने से पहले ही प्रदेश सरकार ने प्रो. पाठक के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में सीबीआई ने आईपीसी की धारा 386, 342, 504, 506, 409, 420, 467, 468 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया था। प्रो. विनय पाठक आगरा विश्वविद्यालय में जनवरी से सितंबर 2022 तक कार्यवाहक कुलपति रहे थे।
विश्वविद्यालय में रही हलचल
सीबीआई के विश्वविद्यालय में पहुंचने की सूचना से हलचल की स्थिति रही। हालांकि सीबीआई की ओर से जांच के मामले को गोपनीय रखा गया। टीम की मौजूदगी के दौरान अधिकारियों के फोन बंद रहे। कॉलेज के तमाम स्टाफ तक को पता नहीं लग पाया कि सीबीआई की टीम विवि पहुंची थी।