Now companies will have to pay compensation in case of death due to falling of hoardings

योगी कैबिनेट की बैठक। file pic
– फोटो : अमर उजाला

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पिछले दिनों कई शहरों में होर्डिंग गिरने से हुई दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जल्द ही आउटडोर विज्ञापन नीति-2024 लाने जा रही है। इसके तहत सड़कों या छतों पर लगे हार्डिंग के गिरने से किसी की मौत या विकलांगता होने पर विज्ञापन लगाने वाली कंपनियों को मुआवजा देना होगा। लाइसेंस लेने वालों को तीसरे पक्षों के प्रति देनदारियों के लिए सार्वजनिक देयता बीमा पॉलिसी करना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं संपत्तियों की क्षति होने पर भी विज्ञापन एजेंसियों को पीड़ित पक्ष को मुआवजा देना होगा। मुआवजे की राशि बाद में तय की जाएगी।

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मौजूदा विज्ञापन नीति में दुर्घटनाओं में मुआवजा देने की व्यवस्था नहीं है। प्रदेश में यह व्यवस्था पहली बार हो रही है। प्रस्तावित नीति में नगर निकायों के सीमा क्षेत्र में होर्डिंग लगाने के नए मानक तय किए गए हैं। नगर विकास विभाग द्वारा तैयार कराई गई प्रस्तावित नीति पर उच्च स्तर पर सहमति बन गई है। इसमें कुछ जरूरी संशोधन के बाद इसे कैबिनेट से पास करते हुए लागू करने की तैयारी है।

प्रस्तावित नीति के मुताबिक सड़कों की चौड़ाई से दोगुना ही होर्डिंग लगाने की अनुमति होगी। घर की दीवारों और छातों पर दीवारों पर 40 फीसदी क्षेत्र के बराबर ही होर्डिंग लगाई जा सकेगी। घरों या छतों पर होर्डिंग लगाने से पहले संबंधित नगर निगमों से लाइसेंस लेना होगा। नगर निकायों को शहरों में लगने वाले सभी होर्डिंग की 90 दिनों के अंदर जियो टैगिंग कराते हुए इसे निकायों की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।

स्ट्रक्चरल इंजीनियर की अनुमति जरूरी

रूफटॉप विज्ञापन के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियर की अनुमति जरूरी होगी। इसके लिए सभी निकायों में इनको सूचीबद्ध्र किया जाएगा। किसी भूमि और भवन पर स्थापित, प्रदर्शित या रखे गए अनधिकृत विज्ञापन या इसके उपकरण को बिना किसी सूचना के हटा दिया जाएगा। नगर निकाय इसे जब्त करने के लिए स्वतंत्र होगा। अवैध होर्डिंग या प्रचार सामग्री हटाने पर इसके एवज में संबंधित व्यक्ति या संस्था से खर्च की वसूली की जाएगी। समय से शुल्क जमा न करने वालों से ब्याज के साथ वसूली की जाएगी। अवैध विज्ञापन लगाने पर पांच गुना तक जुर्माना वसूला जाएगा।

इस तरह तय होंगी विज्ञापन की दरें

नगर विकास विभाग द्वारा नई विज्ञापन नीति आने के बाद होर्डिंग लगाने के लिए दरें नए सिरे से तय की जाएंगी। इसके लिए क्षेत्रवार दरें तय की जाएंगी। आवंटन स्थल की माप की जाएगी। बाजार सर्वेक्षण व मांग के आधार पर दरें निर्धारित होंगी। सर्वेक्षण के लिए किसी प्रतिष्ठित संस्था को आबद्ध किया जाएगा।



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