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खबर का असर

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। पहूज नदी को पुनर्जीवन देने की दिशा में 25 सितंबर 2024 की तारीख बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई है। नालों के गंदे पानी को नदी में गिरने से रोकने के लिए बनाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ने बुधवार से काम करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही नालों का गंदा पानी साफकर नदी में छोड़ा जाने लगा है। शुक्रवार से एसटीपी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा।

बुंदेलखंड की प्राचीन नदियों में से एक पहूज मैला ढोने वाली गाड़ी बनकर रह गई थी। सालों से इसमें महानगर के चार नालों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा है। इसके चलते स्थिति यह हो गई थी कि नदी का पानी आचमन लायक भी नहीं बचा था। इसे पुनर्जीवन के लिए अमर उजाला की ओर से लगातार मुहिम चलाई गई है, जिसका खासा असर हुआ है।

स्मार्ट सिटी मिशन योजना के तहत बनाए गए एसटीपी को बुधवार को शुरू कर दिया गया। 100 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए एसटीपी में चारों नालों के गंदे पानी को लाया जाएगा। यहां गंदे पानी को साफ कर पहूज नदी में छोड़ा जाएगा। इसके लिए प्लांट से पहूज नदी तक अलग से एक पाइप लाइन डाली गई है। प्लांट में रोजाना 26 एमएलडी (दो करोड़ साठ लाख लीटर) पानी साफ किया जाएगा। दो दिन के ट्रायल के बाद शुक्रवार से एसटीपी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा।

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प्रयोगशाला में जांच के बाद छोड़ा जाएगा पानी, उद्योगों को भी दिया जाएगा

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में एक प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है, जिसमें नालों से आने वाले गंदे पानी की जांच की जाएगी। इस पानी के साफ हो जाने के बाद नदी में छोड़े जाने से पहले एक बार फिर जांच होगी। पानी की गुणवत्ता सही पाए जाने के बाद ही उसे नदी में छोड़ा जाएगा। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में 700 किलोलीटर क्षमता का ओवरहेड टैंक भी बनाया गया है। नालों के पानी को साफकर ओवरहेड टैंक को भरा जाएगा। यह पानी उद्योगों को दिया जाएगा। बीडा विकसित होने के बाद यह पानी बेहद उपयोगी साबित होगा।

वर्जन

एसटीपी के जरिये नालों के गंदे पानी को साफ कर पहूज नदी में छोड़ा जाएगा। एक-दो दिन में यह पूरी क्षमता के साथ काम करने लगेगा। इसका निर्माण करने वाली कंपनी ही आगामी 10 सालों तक इसका संचालन और रखरखाव करेगी। – सत्यप्रकाश, नगर आयुक्त



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