2000 rupees sale of ODOP products on E commerce companies.

ओडीओपी।
– फोटो : amar ujala

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कस्बों, तहसीलों और शहरों में छिपा हुनर अब सामने आ रहा है। क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया, भारतीय पैकेजिंग संस्थान और ब्रांड डवलपमेंट की जुगलबंदी से यूपी के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) ई-कामर्स कंपनियों पर छा गए हैं। केवल एक साल में यूपी के ओडीओपी उत्पादों की बिक्री 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। पहली बार विदेशी मेलों में अपने उत्पादों के साथ हिस्सा लेने गए माइक्रो उद्यमियों का इसमें बड़ा योगदान है।

एमएसएमई विभाग की प्रगति रिपोर्ट ने उद्यमिता की नई तस्वीर पेश की है। इसके अनुसार दो अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स पोर्टलों पर ओडीओपी उत्पादों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पिछले तीन वर्षों में सालाना 80 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2022-23 में दो सबसे बड़े ई-कॉमर्स पोर्टलों पर लगभग 2000 करोड़ रुपये के ओडीओपी उत्पाद बिके। जबकि 2021-22 में लगभग 1300 करोड़ और 2020-21 में 800 करोड़ रुपये उत्पादों की बिक्री हुई थी।

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अंतरराष्ट्रीय मानक तक पहुंचाया

उत्पादों को तराशने के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया ने 62 उत्पादों को 167 श्रेणियों में तब्दील किया। गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुंचाया। भारतीय पैकेजिंग संस्थान ने आजमगढ़, फिरोजाबाद, वाराणसी, बांदा और मुरादाबाद में प्रोटोटाइप विकसित किए।

मेलों में हिस्सा लेने के लिए 75 फीसदी सब्सिडी

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मेलों में हिस्सा लेने वाले 2110 उद्यमियों व हस्तशिल्पियों को योजना का लाभ दिया जा चुका है। जर्मनी के होम डेकोर मेले, जर्मनी में ही हेमटेक्सटाइल इंटीरियर डिजायनर मेले, ब्रिटेन के होम डेकेरोशन एक्सपो, सऊदी अरब के अंतरराष्ट्रीय रेडीमेड व टेक्सटाइल मेले और दुबई एक्सपो में यूपी के उत्पाद छाए।

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छोटे कारीगरों का काम तराश रहे हाईटेक टूलकिट

81 हजार ने योजना का लाभ उठाया। 21 हजार टूलकिट पिछले साल दी गईं और इस साल 25 हजार टूलकिट बांटने का लक्ष्य रखा गया है। 2.19 लाख कुल कारीगरों को योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया। 75 हजार कारीगरों को इस साल प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।

ओडीओपी बजट-

वर्ष — बजट — स्वीकृति

2018-19 — 235 — 135.57

2019-20 — 250 — 163.63

2020-21 — 250 — 184.65

2021-22 — 250 — 250.00

2022-23 — 263.75 — 258.75

2023-24 — 275 — 137.50 (31 जुलाई 23 तक) (राशि करोड़ में)

एमएसएमई मंत्री राकेश सचान का कहना है कि ओडीओपी का आगाज यूपी से हुआ। इसके बाद अन्य राज्यों ने भी लागू किया। इस योजना ने प्रदेश के छिपे कौशल को निखारने और सामने लाने का काम किया है। इसमें लगातार वृद्धि के लिए हर जिले के उत्पादों की नियमित समीक्षा की जा रही है। बजट भी लगातार बढ़ रहा है। छोटे उद्यमियों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने उत्पाद बेचने और प्रदर्शित करने का मौका दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत सब्सिडी का प्रावधान है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।



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