उरई। जिले में अब गोवंश सेवा और प्राकृतिक खेती को अपनी नई पहचान बनाने की ओर बढ़ रहा है। रानी लक्ष्मीबाई सभागार में मंगलवार को हुई जिले स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन व समीक्षा समिति की बैठक में गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय और आयोग के सदस्य राजेश सिंह सेंगर ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले के प्रत्येक ब्लॉक से एक-एक गांव को जैविक व प्राकृतिक खेती का मॉडल गांव बनाया जाएगा।

loader

Trending Videos

इन गांवों को संबंधित अधिकारी गोद लेकर विकसित करेंगे और यहां किसानों को मुख्यमंत्री गोवंश सहभागिता योजना से जोड़कर लाभ दिलाएंगे। योजना के तहत प्रत्येक संरक्षित गोवंश पर प्रतिमाह 1500 रुपये की धनराशि दी जाती है। अधिकारियों ने निर्देश दिया कि सभी ब्लॉकों में कैंप लगाकर किसानों को प्रेरित किया जाए और हर किसान को कम से कम दो गायें सुपुर्द की जाएं। किसानों से आह्वान किया गया कि वे गोबर और गोमूत्र से जीवामृत, घनामृत और बीजामृत तैयार कर खेतों में प्रयोग करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, रसायनमुक्त फसलें तैयार होंगी और परिवार का स्वास्थ्य बेहतर होगा। गोशाला संचालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर से बायोगैस, खाद, लकड़ी, गमले और अन्य उत्पाद तैयार करने के भी निर्देश दिए गए। डीएम राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि गोशालाओं में संरक्षित गोवंशों के लिए 300 एकड़ भूमि हरे चारे के लिए चिन्हित की गई है। घायल गोवंशों की सेवा के लिए चलित अस्पताल वाहन उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही गोशालाओं में केयरटेकर और अभिलेख कक्ष का निर्माण भी कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले की गोशालाएं पहले से ही प्रदेश में उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। यहां सीसीटीवी कैमरों द्वारा लगातार निगरानी की जाती है, जिससे गोवंश की देखभाल और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। बैठक में सीडीओ केके सिंह, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम नेहा ब्याडवाल, डीएफओ प्रदीप यादव, सीवीओ मनोज अवस्थी सहित मौजूद रहे।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *