उरई। बेमौसम बारिश ने जिले में हरी मटर की करीब एक लाख हेक्टेयर फसल खराब हो गई है। हालत यह है कि बारिश होने से मिट्टी की परत जम जाएगी और पौधा नहीं निकल पाएगा। किसानों को अब दोबारा फसल की बुआई करनी पड़ेगी। इससे उन्हें दोबारा बीज, बुआई का खर्च झेलना पड़ेगा। जिले के तीनों विधायकों व एमएलसी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मुआवजे की मांग की है।

जिले में करीब एक लाख चालीस हजार हेक्टेयर भूमि में किसानों ने हरी मटर की बुआई की है। कुछ किसानों ने दस दिन पहले तो कुछ ने बारिश से दो या तीन दिन पहले बुआई की है। सोमवार को हुई बेमौसम बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बारिश से जिले में करीब 80 फीसदी नुकसान हरी मटर की फसल को हुआ है। करीब एक लाख हेक्टेयर फसल में बिजगुड़ी (पौधा निकलने से पहले ही नष्ट हो जाना) हो गई है। किसान अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं।

उनका कहना है कि वह पहले से ही खरीफ की फसल से बर्बाद हो चुके हैं अब बारिश ने रही सही कसर भी निकाल दी है। अब उन्हें दोबारा से बुआई करनी पड़ेगी।

सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा, माधौगढ़ विधायक मूलचंद्र निरंजन, कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी व एमएलसी रमा निरंजन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किसानों को मुआवजा दिलाए जाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि यहां के किसान पहले से ही मौसम की मार झेल रहे हैं। सोमवार को हुई बारिश ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है। इससे उन्हें सहायता दी जाए।

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बारिश ने बिगाड़ा किसानों का बजट, किस्मत को कोस रहे

मुहम्मदाबाद। जिले के किसानों को सोमवार को हुई बेमौसम बारिश ने दोबारा से फसल बोने को मजबूर कर दिया है। खेतों में पानी भरने से फसल निकलने से पहले ही नष्ट हो गई है। इससे अब किसानों को खाद, बीज के अलावा जोताई व बुआई का इंतजाम करना पड़ेगा। इसमें किसानों का अच्छा खासा बजट भी खर्च होगा। कुछ किसानों का कहना है कि बिना कर्जा लिए वह अब दोबारा खेतों में बीज नहीं डाल पाएंगे।

जिले के किसान दो फसलें लेने के चक्कर में हरी मटर की उपज करते हैं। यह फसल 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान खेतों में ही इसकी फलियां तुड़वाकर उसे अच्छे दामों में बेच देते हैं। इसके साथ ही दूसरी फसल गेहूं, ज्वार की खेती कर लेते हैं। इससे वह अच्छा खासा मुनाफा भी कमा लेते हैं। सोमवार को हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

किसानों ने बताया कि अक्तूबर के प्रथम सप्ताह से उन्होंने हरी मटर की किस्म एमपी सेवन, जीएसटेन, दंतेबाड़ा, एपी थ्री को दस हजार से लेकर 15 हजार रुपये क्विंटल खरीदकर खेतों में बोया था। आशा थी कि दो माह बाद वह एक बीघे में करीब 50 हजार मुनाफा कमा लेंगे। बारिश ने खेत से निकलने से पहले ही फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।

कुछ किसानों का कहना है कि उनके खेतों में अंकुर आ गया था। पानी भरने से वह सड़ जाएगा। इससे उन्हें दोबारा फसल की बुआई करनी पड़ेगी। अब उनका बजट बन पाता है या नहीं यह अब खेत सूखने के बाद ही बता पाएंगे। (संवाद)

किसान बोले, समय से हो गई थी बुआई

फोटो – 07 स्वयं प्रकाश निरंजन

काबिलपुरा निवासी किसान स्वयं प्रकाश निरंजन ने बताया कि हरी मटर की फसल की बुआई रविवार तक 90 बीघा में कर ली थी। सोमवार को बेमौसम बारिश ने खेतों में बिजगुड़ी कर दी है। कुछ बीज तो अच्छे दामों में बाहर से मंगवाए थे। पैदावार होने से पहले ही सब खत्म हो गया।

कुसमिलिया गांव निवासी किसान दिवाकर राजपूत ने बताया कि हरी मटर का बीज 10 से 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल खरीदकर लाए थे। बीज महंगा होने की वजह से सावधानी से बुआई भी की थी। 250 बीघा खेती में से वह 100 बीघा के करीब हरी मटर की बुआई कर चुके थे। बारिश ने पूरी तरह से बीज को बर्बाद कर दिया।

मुहम्मदाबाद गांव निवासी किसान पूरन वर्मा ने बताया कि 20 बीघा में हरी मटर की फसल की बुआई की थी। इसके लिए खाद की लाइनों में देर रात तक लगे रहे। कहीं लेट न हो जाएं, इसलिए समय से सभी संसाधन जुटाकर खेतों को तैयार करके बुआई कर ली थी। पानी ने सब कुछ खत्म कर दिया है। अब बुआई हो पाएगी या नहीं इसका भी पता नहीं है।

कुकरगांव निवासी किसान काजू दुबे का कहना है कि 15 बीघा खेत में हरी मटर की फसल बोई थी। व्यापारी से उन्होंने फसल तैयार होने के बाद बीज लौटाने की बात कही थी। इसके साथ ही समिति से खाद ली थी। फसल होने के बाद सभी का हिसाब कर दिया जाएगा। बारिश ने उनके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है। अब चिंता हो रही है कि व्यापारी को कैसे बीज वापस करेंगे।

एक बीघा हरी मटर की फसल पर आएगी छह हजार की लागत

उरई। एक बीघा हरी मटर की फसल बोने के लिए किसान को करीब छह हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। किसान दीपू निरंजन ने बताया कि एक बीघे में 3500 रुपये का बीज, चार सौ की खाद, करीब 1500 रुपये जुताई और करीब पांच सौ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। (संवाद)

जिन किसानों के खेतों में पानी भर गया है, वहां बीज अंदर ही खराब हो जाएगा। जिन खेतों में अंकुर निकल आए हैं, उनमें नुकसान कम होगा। धान की फसल को भी बारिश की वजह से नुकसान हुआ है लेकिन बारिश से आने वाली फसलों को फायदा मिलेगा।

विस्टर जोशी, कृषि वैज्ञानिक, केवीके

फोटो - 10 काजू दुबे

फोटो – 10 काजू दुबे

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