
रीढ़ की हड्डी।
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राजधानी लखनऊ में रविवार को ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी मास्टर क्लास कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम हड्डी रोग विभाग व लखनऊ आर्थोपेडिक सोसायटी की तरफ से आयोजित हुआ। इसमें केजीएमयू के हड्डी रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशीष कुमार ने कहा कि हड्डी में लगी चोट कई साल दर्द करती रहे तो हड्डी का कैंसर हो सकता है।
केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि ओपीडी में हड्डी की गांठ वाली जगह पर ट्यूमर विकसित होने वाले मरीजों बताते हैं कि उन्होंने गांठ को हड्डी जुड़ने का संकेत लिया था। कई ऐसे मरीज भी आते हैं जो झोलाछाप के चक्कर में पड़कर हड्डी को नुकसान पहुंचा लेते हैं।
शुरुआती इलाज सर्जरी व कीमोथेरेपी है
रेडियोथेरेपी विभाग के प्रो. सुधीर सिंह ने बताया कि हड्डियों के कैंसर का शुरुआती इलाज सर्जरी व कीमोथेरेपी है। सर्जरी न होने पर रेडिएशन दिया जाता है। कार्यक्रम के दौरान भाभा कैंसर अस्पताल के निदेशक प्रो. आशीष गुलिया, एम्स गोरखपुर के निदेशक प्रो. अजय सिंह, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट प्रो. सीमा गुलिया, नई दिल्ली से डॉ. अक्षय तिवारी और डॉ. ब्रजेश नंदन, मोहाली से डॉ. जगनदीप एस विर्क, कोयंबटूर से डॉ. राजभास्कर मौजूद रहे।
जल्द शुरू होगा बोन बैंक
डॉ. कुमार शांतनु ने बताया कि जल्द ही केजीएमयू में प्रदेश का पहला बोन बैंक शुरू हो जाएगा। इससे मरीजों को दूसरे स्थान की हड्डी काटकर नहीं लगानी होगी। इस बोन बैंक की वजह से मरीजों की नष्ट हुई हड्डी के स्थान पर नई हड्डी लगाई जा सकेगी।
