अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। झांसी में नौ से 14 साल की 1.18 लाख बेटियां हैं और हर महीने बमुश्किल 50 ही एचपीवी की वैक्सीन लगवाती हैं। ऐसे में हर साल 600 बेटियां ही सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए ये सुरक्षा कवच लेती हैं। अब केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में नौ से 14 साल तक की बेटियों के लिए एचपीवी वैक्सीन लगाने का ऐलान किया है। ऐसे में टीकाकरण बढ़ने की उम्मीद है।
झांसी में अभी निजी केंद्रों पर एचवीपी की वैक्सीन लगवाने पर करीब तीन हजार रुपये प्रति डोज खर्च आता है। नौ से 14 साल की बेटियों को दो एचपीवी वैक्सीन की डोज लगती है। ऐसे में करीब छह हजार रुपये खर्च आ जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसी वजह से खासकर आर्थिक रूप से कमजोर लोग अपनी बच्चियाें को ये टीका नहीं लगवा पाते हैं। एनएचएम के मंडलीय परियोजना प्रबंधक आनंद चौबे ने बताया कि एशिया प्रशांत जनसंख्या डाटा के ट्रेंड्स के अनुमानों के आधार पर झांसी में नौ से 14 साल तक की लगभग 1.18 लाख बालिकाएं और किशोरियां हैं। इस उम्र में एचपीवी वैक्सीन लग जाने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है। मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. ओमशंकर चौरसिया ने बताया कि अभी जिले में हर महीने 40 से 50 एचपीवी की वैक्सीन की ही खपत है। मगर अब इसमें तेजी से इजाफा होगा। अभिभावकों को भी अपनी बेटियों को एचवीपी की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।
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सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स में होने वाला गंभीर प्रकार का कैंसर माना जाता है। जानकारों के मुताबिक सर्विक्स गर्भाशय का सबसे निचला भाग होता है, जो योनि से जुड़ता है। सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संक्रमण से होते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें संक्रमण बढ़ने और इसके गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है।
