विश्व नदी दिवस पर विशेष

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फोटोअमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बुंदेलखंड की प्राचीन पहूज नदी को पुनर्जीवन मिलने जा रहा है। नदी में गिरने वाले नालों के गंदे पानी को साफ कर इसमें छोड़ा जाएगा, जिससे इसकी जलधारा भी अविरल नजर आएगी। साथ ही नदी के दोनों किनारे भी हरे-भरे होंगे। इस दिशा में तैयारियां तेजी से जारी हैं।

पहूज नदी बबीना के बैदोरा से शुरू होकर जालौन जिले में पहुंचकर पचनदा में समाहित हो जाती है। अपनी जीवन यात्रा के दौरान यह नदी पेयजल और खेतों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है। बावजूद, इस प्राचीन जल स्रोत को उसके हाल पर छोड़ रखा गया था। जीवनदायिनी नदी को पुनर्जीवन देने के लिए अमर उजाला की ओर से मुहिम चलाई गई, जिसका खासा असर हुआ है। मुहिम का हिस्सा बनकर सामाजिक संस्था परमार्थ की ओर से नदी के दोनों किनारों पर बड़े पैमाने पौधरोपण किया गया। इसके अलावा ग्रामीणों के साथ मिलकर स्वयंसेवकों ने नदी की सफाई का काम भी किया, जिससे इसकी जलधारा उदगम स्थल के बाद से लगभग 15 किमी तक अविरल नजर आने लगी है। हालांकि, महानगर में पहुंचते ही इसकी दुर्दशा शुरू हो जाती है। यहां नदी में चार नालों के गंदे पानी छोड़ा जा रहा है। लेकिन, अब इस स्थिति में जल्द बदलाव होने जा रहा है। नगर निगम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू करने जा रहा है। इसके शुरू हो जाने के बाद नालों के गंदे पानी को शुद्ध कर नदी में छोड़ा जाएगा, जिससे पहूज को गंदगी से छुटकारा मिलेगा।

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वैज्ञानिक सर्वे के बाद बनेगा प्लान

मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे पहूज नदी का वैज्ञानिक सर्वे कराने जा रहे हैं। इसके लिए जल्द एजेंसी को नामित कर दिया जाएगा। सर्वे के जरिये नदी को प्रदूषण मुक्त करने के उपाय तलाशे जाएंगे। इसके अलावा नदी के संरक्षण के लिए एक्शन प्लान तैयार कर उसके अनुसार काम किया जाएगा।

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सुखनई नदी का अस्तित्व खतरे में

मऊरानीपुर (झांसी)। सुखदायिनी कही जाने वाली सुखनई नदी लगातार प्रदूषित हो रही है, जिससे इसके अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो गया है। हालांकि, नदी को प्रदूषण मुक्त करने के दावे और वादे तो खूब हुए, लेकिन हालात फिर भी नहीं बदले। बारिश में नदी का जल स्तर बढ़ने पर गंदगी कुछ हद तक बह जाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद दोबारा नालों का गंदा पानी इसमें समाने से नदी में जलकुंभी पैदा हो जाती है। नदी को पुनर्जीवन देने के लिए अब तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है।



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