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उरई। जिले में आई बाढ़ का पानी कम तो हो गया है, लेकिन अब लोग अपने आशियाने को देखकर बिलख रहे हैं। लोगों का कहना है कि बड़ी मेहनत से उन्होंने घर बनाया था, लेकिन बाढ़ से उनका घर जमींदोज हो गया है। जिले में करीब 300 से अधिक घर गिर गए हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है, कि सर्वे के करवाकर पीड़ितों के खाते में राहत राशि भेजी जा रही है। पानी कम होने के बाद लोग अपने बिखरे सामान को फिर से संजोने लगे हैं।

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जिले में पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ ने जिले के कालपी, कोंच व माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के गांवों में तबाही मचाई थी। हालत यह थी कि 70 से अधिक गांवों में पानी आ गया था। प्रशासन की ओर से बनाए गए राहत शिविरों में लोगों ने शरण ली थी। इसके बाद बांधों से छोड़े गए पानी से और भी स्थिति विकराल हो गई थी। हालांकि अब पानी तो कम हो रहा है, लेकिन पानी सहम जाने से अब तक जिले में करीब 300 से अधिक घर पूरी तरह से गिर चुके हैं। जिससे लोग अब उन्हें दोबारा बनाने में जुट गए हैं। लोगों का कहना है कि बारिश ने उनके उनके घरों को नहीं उनके अरमानों को उजाड़ दिया है।

घरों में सदस्यों के हिसाब से कम पड़ रहे हैं, लंच पैकेट

कोंच। बाढ़ के पानी में फंसे कई लोगों तक भोजन का एक भी पैकेट नहीं पहुंचा है जिससे राहत कार्यों की पोल पट्टी खुल कर सामने आ रही है। मलंगा नाले के किनारे बसा वार्ड नंबर एक मोहल्ला गांधीनगर बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है। यहां पर मरईं माता मंदिर के आसपास रहने वाले लोग भोजन के पैकेट नहीं मिलने से परेशान तो हैं ही, दुःखी भी हैं।

यहां के दीपक वाल्मीकि ने पानी से घिरे अपने घर की दहलीज पर बैठे-बैठे अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि घर में बच्चों सहित कुल पांच सदस्य हैं। लेकिन पहले दिन से लेकर आज तक पांचवें दिन बीत जाने के बाद भी एक भी लंच पैकेट नहीं मिल सका है। घर में भोजन पानी का जो थोड़ा बहुत सामान पहले से रखा हुआ था, वह भी खत्म हो गया है जिससे अब पेट की आग बुझाने की समस्या सामने आ रही है।

मुन्ना परदेशी का कहना है कि उनके घर में छोटे बड़े और महिलाओं सहित कुल 8 सदस्य हैं लेकिन लंच पैकेट सिर्फ 4-5 ही मिल रहे हैं। पास में ही रहने वाले रामसिंह का कहना है कि उनके 7 सदस्यों के परिवार में भी सदस्यों की संख्या के सापेक्ष आधे लंच पैकेट ही उपलब्ध हो पा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि लंच पैकेट में छोटी-छोटी छह पूड़ियां रखी मिल रहीं हैं जिससे आधा पेट भूखा रहना पड़ रहा है। पीने के साफ पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है जिससे प्यास बुझाने के लिए मजबूरन बच्चों व परिवार के सभी लोगों को प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है। प्रदूषित पानी पीने से पेट संबंधी बीमारियों का डर भी सता रहा है। (संवाद)

कई इलाकों में अभी भी ठप है आवागमन

कोंच। ओवरफ्लो हुए मलंगा नाले से नगर के मोहल्ला गांधीनगर, गोखलेनगर और मालवीयनगर के अलावा आराजी लेन इलाके में आई बाढ़ के पांचवें दिन भी हालात में ज्यादा बदलाव नजर नहीं आ रहा है। पिछले चौबीस घंटे में करीब डेढ़ फीट पानी उतरा जरूर है, लेकिन पहले दिन की तरह ही पांचवें दिन भी इन मोहल्लों के करीब-करीब सभी रास्तों के अलावा घरों की दहलीज तक पानी हिलोरें मार रहा है। जिससे अभी भी बच्चों से लेकर बड़े बूढे और महिलाएं घरों के अंदर कैद नजर आ रहे हैं। तेज धूप निकलने से चारों ओर भरे पानी के चलते तीव्र उमस में कीट पतंगे और मच्छरों का सामना बाढ़ प्रभावित लोगों को करना पड़ रहा है। इन इलाकों में दुर्गंध भी खूब फैली है और बिजली भी लगातार आंख मिचौनी खेल रही है जिससे लोग अब बुरी तरह परेशान हो उठे हैं।(संवाद)



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