लखनऊ। गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में शुक्रवार से अंतरराष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव का आगाज हो गया। 76 से अधिक झोपड़ियों में क्षेत्रीय कलाकृति, खानपान व उत्पादों के स्टॉल सजे हैं। बांस की परत से बनीं वस्तुएं, गेहूं की बाली, पत्तल, जूट, मिट्टी, लकड़ी और पीतल से बनीं वस्तुएं खूब लुभा रही हैं।

आयोजन में छत्तीसगढ़ के विनोद ढोकरा आर्ट का नमूना पेश कर रहे हैं। खास पीतल धातु से तैयार वस्तुएं 75 साल पुराने हस्तशिल्प को पहचान दे रही हैं। यहां पीतल की मछली, लालटेन, भगवान की मूर्ति व अन्य वस्तुएं उपलब्ध हैं।

बहराइच की प्रीति बताती हैं कि गेहूं की बाली से तैयार हस्तकला 40 साल पुरानी है। कपड़ों पर गेहूं के डंठल का इस्तेमाल कर विशिष्ट कलाकृति उकेरते हैं। यहां मधुबनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाने वाले ललित झा बताते हैं कि हमारी छठवीं पीढ़ी है, जिसने मधुबनी पेंटिंग को जीवित किया है।

देशी व्यंजनों का भी लीजिए स्वाद

भागीदारी उत्सव में झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों के चर्जित व्यजनों के स्टॉल हैं। चूल्हे का खाना, अवधी व राजस्थानी व्यंजन, फर्रुखाबादी नमकीन, महुआ मिलेट व्यजंन, भुना आलू, भेलपुड़ी, आदिवासी भोजन का लोग स्वाद ले रहे हैं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *