people of Garhwal community have a different style of celebrating Holi

होली दहन स्थल
– फोटो : Bhiwani

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 भारत विभिन्नताओं का देश है, जहां कई परंपराएं देखने को मिलती हैं। शहर में इस समय होली का उल्लास छाया है। हर समाज अपने-अपने तरीके से पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है। गढ़वाल समाज के लोग होली से 10 दिन पहले टोली बना कर घर-घर जाकर होली के गीत गाना शुरू कर देते हैं। होलिका दहन पर सफेद कपड़े व गढ़वाली टोपी पहनकर होलिका का पूजन करते हैं।

आवास विकास निवासी विनोद सेमवाल ने बताया कि हम लोग होली से 10 दिन पहले टोली बनाते हैं। इसमें एक जोकर होता है और गोला बनाकर उसमें खड़े होकर जोकर नृत्य करता है। बदले में लोग होली की बधाइयां और चावल, आटा इत्यादि सामान देते हैं। उस सामान से हम लोग होली वाले दिन दाल-चावल, अरसे, आटे के गुलगुले बनाते हैं और सभी गढ़वाली परिवार एक साथ भोजन करते हैं।

महिलाएं दहन में नहीं आतीं

राजेंद्र घिल्डियाल ने बताया कि होलिका दहन हमारे यहां पुरुष सफेद कपड़े पहन गढ़वाली टोपी किया जाता है। महिलाएं होलिका दहन में नहीं आती हैं। 

उत्तराखंडी नथ पहनते हैं

मीरा तिवारी ने बताया कि होली वाले दिन घर पर होलिका पूजन पर गढ़वाली गीत गाते हैं और पूजा करने के बाद होली खेलते हैं। शाम को उत्तराखंडी नथ पहन तैयार होते हैं।

एक साथ करते हैं भोजन

संदीप देवरानी ने बताया कि हम लोगों ने आज भी अपनी परंपरा बरकरार रखी है। होली पर सभी गढ़वाली मित्र एक साथ शाम को भोजन करते हैं।

 



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