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भूराजनीति -में कल एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण दिन था. जहां अमेरिका, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने के लिए अपना एड़ी-चोटी लगा रहा था।

ख़बर सूत्रों से अन्तरराष्ट्रीय है।                                        अमेरिका युद्ध रोकने के लिए अरब में जहां दोनों देशों की राजनयिकों के बीच बार बार बैठकें कर रहा था,

वहां न कोई भारत की भुमिका के बारे में बात कर रहा था, न उसमें भारत का कोई राजनयिक शामिल था.

परंतु कलपरंतु कल रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यह कह कर सबको चौंका दिया कि, इस युद्ध को रोकने के लिए काम कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैं शुक्रगुजार हूं।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए पूरी दुनिया लगी हुई है. सिवाए कुछ EU देशों को छोड़कर.

इस बीच कल यानी गुरुवार को रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने युद्ध खत्म करने की कोशिश में लगे वैश्विक नेताओं को धन्यवाद दिया.इसमें उन्होंने भारत समेत ब्रिक्स देशों को धन्यवाद बोला. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कल पहली बार यूक्रेन में 30 दिनों के संघर्षविराम के लिए अमेरिका के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी थी.

अपने उद्घाटन भाषण में, पुतिन ने तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने में मदद करने के लिए वैश्विक नेताओं की ओर से किए गए प्रयासों के बारे में विस्तार से बात की।

पुतिन ने अपने आभार भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग का जिक्र किया।ब्लादिमीर पुतिन ने कहा, ‘सबसे पहले, मैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूक्रेन के समाधान पर इतना ध्यान देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं.

हम सभी को अभी बहुत कुछ करना है, लेकिन कई देशों के लीडर्स, जैसे भारत के प्रधानमंत्री, चीन के राष्ट्रपति, वे सभी इस मुद्दे पर बहुत समय दे रहे हैं,

और हम उनके आभारी हैं,

क्योंकि यह शत्रुता को रोकने और मानव हानि को रोकने के महान उद्देश्य के लिए है.’ भारत ने कई वैश्विक मंचों पर शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट की है।गुरुवार को, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि वह तकनीकी रूप से यूक्रेन में प्रस्तावित संघर्षविराम के पक्ष में हैं.

पुतिन ने बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको के साथ मास्को में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम युद्ध को खत्म करने के प्रस्तावों से सहमत हैं, लेकिन इस आधार पर कि वह समाप्ति दीर्घकालिक शांति की ओर ले जाएगी और संकट के मूल कारणों को संबोधित करेगी.’।

अमेरिका ने 30 दिनों के संघर्षविराम का प्रस्ताव दिया है, जो युद्ध के मोर्चे पर अस्थायी रूप से शत्रुता को समाप्त करेगा।इस योजना को यूक्रेन का समर्थन प्राप्त है और इसमें समुद्र, हवा और जमीन पर संघर्षविराम शामिल होगा।

कॉमेडियन जेलेंस्की युद्ध हार रहा है..
और ट्रम्प ने सैन्य सहायता भी रोक दी है।

तो इस 30 दिनों के युद्धविराम के लिए तैयार हो गया है। लेकिन EU के देश खासकर ब्रिटेन और फ्रांस ने सैन्य सहायता बढ़ा दी है।

ताकि 30 दिनों तक तैयारी करके…
पुनः जेलेंस्की यूद्ध कर सके..!!डोनाल्ड ट्रम्प को तो यूक्रेन के लिए सैन्य सहायता पर रोक हटाना ही था क्योंकि यह पिछले बाइडेन सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया था

जिसमें वहां के सीनेट की भी स्वीकृति थी,

यदि अमेरिका में किसी भी विषय पर सीनेट से स्वीकृत मिल जाए तो फिर रोष्ट्रपति उसे रोक नहीं सकता।

परंतु सीनेट ने यह भी स्वीकृत किया था कि राष्ट्रपति ऐसे विषय पर अपने विवेकानुसार निर्णय ले सकते हैं,  जो इस विषय पर डोनाल्ड ट्रंप के लिए और पेचीदा कर रहा है।रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन 30 दिनों के युद्धविराम के स्थान पर स्थायी शान्ति चाहते हैं।

जिसपर वार्ता के लिए भी कॉमेडियन तैयार नहीं है।

यहां पर ट्रंप उस पर चाबुक जरुर चलाया है।

जेलेंस्की दोनबास के बदले कुर्स्क का लेनदेन चाहता था ।

लेकिन अब यूक्रेन के पास कुर्स्क के महज़ 100% मैं से 3% जमीन बचा है, क्योंकि पिछले कई दिनों से रूस कुर्स्क पर ज्यादा ध्यान दे रहा था

और उसके सैनिक यूक्रेनी सैनिकों के द्वारा कब्जाए गए जमीन पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे थे, जिसमें रूस सफल भी हुआ है।वैसे जेलेंस्की कॉमेडियन तो है ही,
उसमें वह एक नंबर का पागल भी है,

क्योंकि दोनबास और कुर्स्क में 90% से अधिक लोग रूसी हैं।  इसलिए पुतिन ने रूस की वास्तविक शक्ति दिखाने का निर्णय ले लिया है।

अभी तक वह यूक्रेनी सैनिकों के साथ भी रूसियों के भाई जैसा व्यवहार कर रहा था। कुर्स्क में रूसी सेना यूक्रेनी सेना के जहां जहां सैन्य बैस हैं, वहां नीचे सुरंग बनाकर उसे हर तरफ से घेर लिया है और कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को मारा नहीं जायगा।उनमें से बहुत से सैनिकों को जबर्दस्ती पकड़कर मादक पदार्थों का अभ्यस्त बनाकर भेजे गये थे।

वे सभी कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं थे।
अतः अबतक रूसी सेना के द्वारा 70 हजार से ज्यादा सैनिक केवल कुर्स्क में ही मारे जा चुके हैं।

कुछ ही दीन पहले ब्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि कुर्स्क में रूस का विजय पूर्ण हो चुकी है और रूस युद्धविराम के लिए तैयार है

परंतु शांति समझौते के कुछ बिन्दुओं पर विचार विमर्श आवश्यक है। रूस से बिना पूछे कॉमेडियन ने डोजियर बनाया था जिसमें सारा आरोप रूस पर मढ़ दिया था।जबकि युद्धविरोप में दोषारोपण होना ही नहीे चाहिए ताकि शांति वार्ता आगे बढ़ सके।

डोनाल्ड ट्रम्प भी किसी तरह जेलेंस्की को युद्धविराम पर राजी कराने की हड़बड़ी में हैं ताकि दुनिया में वह अपना शाख बचा सके।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का यह बयान उस वक्त आया, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर रूस युद्ध विराम के लिए राजी नहीं होता, तो हम उसे आर्थिक रूप से पुरा बर्बाद कर सकते हैं।

इसके बाद अमेरिका ने पुतिन से बात करने के लिए अपना विशेष दूत भेजा था।राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वो युद्ध रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव से सहमत हैं। हालांकि, व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन से युद्ध रोकने में अपने दो शर्तें रखा हैं।

पुतिन की शर्त है कि युद्ध विराम से स्थायी शांति आए.
दूसरी शर्त ये कि यूक्रेन से युद्ध के मूल कारणों का हल निकाला जाए.

पुतिन ने ये भी कहा कि हमारी सेना लगातार यूक्रेन में आगे बढ़ रही है. 2000 किलोमीटर लंबे इलाके में यूक्रेन और रूस की सेना आमने सामने युद्ध कर रही है.पुतिन ने ये सवाल भी उठाया कि जब युद्ध विराम हो जाएगा और अगर कोई पक्ष ये आरोप लगाए कि दूसरे पक्ष ने युद्ध विराम समझौते का उल्लंघन किया, तो इसकी तस्दीक कैसे की जाएगी !?

पुतिन ने कहा कि और भी कई मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है. इस पर हमें अमेरिका से बात करनी होगी।

इससे पहले सऊदी अरब की जेद्दा में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और अन्य से बातचीत के बाद यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने युद्ध विराम प्रस्ताव को मान लिया था।जिसकी तस्दीक यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने की थी. इस युद्ध विराम प्रस्ताव में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन 30 दिन के लिए संघर्ष रोकेंगे।

रूस का कहना है कि युद्ध विराम को स्थायी करने के लिए उसकी दो शर्तें हैं. पहली ये कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य न बनाया जाए।

दूसरी शर्त रूस ने रखी है कि यूक्रेन के जितने इलाके पर उसने कब्जा किया, उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिले।

मित्रों, यहां पर जो अन्य लोग शामिल हैं, वह जरुर रहस्यमय है। भारत पहले से ही कहता आ रहा है कि वह ‘तटस्थ नहीं है और हमेशा शांति के पक्ष में है।’जब मोदीजी ने फरवरी में व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात की, तो उन्होंने दोहराया कि ‘भारत तटस्थ नहीं है।

भारत शांति के पक्ष में है।

मोदीजी ने कहा था, मैंने पहले ही राष्ट्रपति पुतिन से कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। मैं राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से उठाए गए प्रयासों का समर्थन करता हूं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी बातचीत के दौरान, मोदीजी का यह बयान कि ‘ये युद्ध का युग नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का युग है’, दुनिया भर में सराहा गया था।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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