– डीआईजी ने कहा फॉरेंसिक वैज्ञानिक साक्ष्यों को जांचने व उनकी प्रमाणिकता स्थापित करने का कार्य करते हैं
– बीयू में हुआ फोरेंसिक साइंस सप्ताह का समापन
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अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। फॉरेंसिक साइंस की फील्ड में दृढ़ता जरूरी है। अपराध के खुलासे में फॉरेंसिक साइंस का अहम योगदान होता है। जुर्म का वैज्ञानिक तरीके से अन्वेषण आवश्यक है ताकि अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके और पीड़ितों को न्याय मिले। यह बात शनिवार को बुंदेलखंड विवि के गांधी सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि सीएफएसएल नई दिल्ली के निदेशक डॉ. दीपक मिड्ढा ने कही।
डॉ. मिड्ढा शनिवार को बीयू के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान सप्ताह के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा किसी भी घटना के खुलासे में फॉरेंसिक विज्ञान का विशेष योगदान होता है। गवाहों के अभाव में अक्सर जघन्य अपराधी बरी होते हैं। ऐसे में वैज्ञानिक साक्ष्य और वैज्ञानिक तरीके से जुर्म का अन्वेषण अति आवश्यक हो जाता है।
विशिष्ट अतिथि डीआईजी कलानिधि नैथानी ने कहा कि फॉरेंसिक वैज्ञानिक साक्ष्यों को जांचने व उनकी प्रमाणिकता स्थापित करने का कार्य करते हैं। इस आधार पर पुलिस कई बार गुमनाम अपराधी तक पहुंची है।
कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने बताया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आने के बाद फॉरेंसिक विज्ञान का न्याय प्रणाली में महत्व और बढ़ गया है। बीयू कई फॉरेंसिक प्रयोगशालों और देश-विदेश के विवि से एमओयू करने का प्रयास कर रही है। प्रतियोगिताओं में विशिष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कुलसचिव विनय कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।
0- डॉ. मिड्ढा को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
झांसी। विभागाध्यक्ष डॉ. अनु सिंगला ने बताया डॉ. मिड्ढा को फॉरेंसिक के क्षेत्र में तीन दशक से अधिक का अनुभव है। वह बीयू के फॉरेंसिक विभाग के पुरातन छात्र रहे हैं। उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड तथा ग्वालियर फॉरेंसिक साइंस लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद ढींगरा को फॉरेंसिक जेम ऑफ फोरेंसिक अवार्ड से सम्मानित किया गया।