
पितृपक्ष 2024। आज से पुरखे हो जाएंगे विदा।
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पुरखे आज से विदा हो जाएंगे। बुधवार को पितृ अमावस्या है। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि तीन अक्तूबर को है और इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत हो रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस दिन हस्त्र नक्षत्र दोपहर में 3:17 मिनट तक है। इंद्र योग और भद्र नामक पंचमहापुरुष योग भी है। इस दिन अभिजित मुहूर्त में सुबह 11:36 बजे से 12:24 बजे के बीच घट स्थापना के लिए सर्वोत्तम काल है।
पंडित धीरेन्द्र पांडेय और एसएस नागपाल के मुताबिक, नवरात्र की खास बात है कि हर दिन भद्र नामक पंचमहापुरुष योग का होना है। इसमें बुध अपनी राशि में केंद्र में होंगे। बुध की मजबूती भाई-बंधु के लिए हितकारक होगी। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि सात और आठ अक्तूबर को गज केसरी योग बन रहा है। हाथी जैसी विशालता और शेर जैसी तेजी के प्रभाव वाले इस योग में यश बढ़ेगा। वहीं 10 को लक्ष्मीनारायण योग का संयोग समृद्दि बढ़ाएगा।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, काशी के पंचांग के मुताबिक, इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय हो रहा है। चतुर्थी तिथि दो दिन 6 और सात अक्तूबर को है। महाअष्टमी और महानवमी का व्रत 11 अक्तूबर को होगा।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी, पर यहां मान्य नहीं
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बुधवार यानी दो अक्तूबर को है, पर भारत में सूतक काल मान्य नहीं है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इसी दिन पितृ अमावस्या भी है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल व आचार्य उमानंद शर्मा के मुताबिक, अमावस्या तिथि एक अक्तूबर को रात 9:39 बजे से प्रारंभ हो गई है। दो अक्तूबर को रात 12:59 बजे तक रहेगी। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है। आचार्यों के मुताबिक, जिन पितरों की पुण्यतिथि परिजनों को ज्ञात न हो, या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश न हो पाया हो, उनके लिए श्राद्ध-दान और तर्पण इस दिन कर सकते हैं। इस तिथि को समस्त पितरों का विसर्जन होता है। उमानंद शर्मा ने बताया कि गायत्री मंदिर में सामूहिक पिंडदान होगा।