राजधानी लखनऊ में चर्चित खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में नमक सप्लाई के 120 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर 1.06 करोड़ की ठगी के मामले में पांच वर्ष से फरार जालसाज राजस्थान जयपुर निवासी कलीम अहमद को हजरतगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी को जयपुर से पकड़ा है। आरोपी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी था।
ठगी का शिकार कारोबारी अहमदाबाद निवासी नीलम नरेंद्र भाई पटेल ने 11 अगस्त 2020 को हजरतगंज थाने में फर्जी विधायक बनने वाला सुनील गुर्जर, उसके साथी राघव, एसके अग्निहोत्री, रितुल जोशी, लोकेश मिश्र, आशीष राय व कलीम अहमद के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस, कलीम को छोड़कर सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
आरोपी कलीम की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम था। सर्विलांस की मदद से हजरतगंज पुलिस ने कलीम को राजस्थान के जयपुर सीकर रोड से गिरफ्तार किया। पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर शुक्रवार को लखनऊ लेकर पहुंची और कोर्ट में प्रस्तुत किया। कोर्ट ने कलीम को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
विधायक बनकर आरोपियों ने जाल में फंसाया था
पीड़ित नीलम के साझेदार जिगर राजेंद्र भाई पटेल की वर्ष 2020 में कलीम से मुलाकात हुई थी। कलीम ने जयपुर के रहने वाले सुनील की मदद से यूपी में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में टेंडर दिलाने की बात कही थी।
सुनील ने खुद को राजस्थान का विधायक और पिता राम नारायण को पूर्व मंत्री बताया था। 13 अगस्त 2019 में नीलम नरेंद्र की पहली मीटिंग सुनील से दिल्ली के कनॉट प्लेस में हुई थी। यहां सुनील ने टेंडर दिलाने के नाम पर नीलम से 2 लाख रुपये अपने खाते में लिए थे।
विधानभवन में आरोपी, पीड़ित को ले गए थे
सुनील ने नीलम व साझेदार जिगर को 11 सितंबर 2019 को लखनऊ बुलाया। होटल से सभी को रात आठ बजे विधानभवन गेट नंबर-7 पर बुलाया। यहां एनके कनौजिया उर्फ आशीष राय की फॉर्च्यूनर से बिना पास के सभी को विधानभवन के अंदर ले गया। यहां उनकी मुलाकात कथित जॉइंट सेक्रेटरी आशीष राय से कराई थी।
आशीष ने बताया कि नमक सप्लाई के टेंडर को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है। उसे 200- 300 करोड़ रुपये का टेंडर जारी करने का अधिकार है। पीड़ित नीलम के मुताबिक 11 सितंबर के बाद उसी रात सुनील, आशीष और उनके अन्य साथी मिलने के लिए होटल पहुंचे और बातचीत की। माल सप्लाई के लिए पैकिंग डिजाइन व यूपी सरकार का लोगो, पैन ड्राइव में दिया था।
एमओयू साइन कर ऐंठे थे रुपये
एमओयू साइन होने के बाद जालसाज उस पर टेंडर की रकम का पांच फीसदी हिस्सा देने के लिए दबाव बनाने लगे। यहां तक की कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने और 33 फीसदी अर्थदंड की धमकी दी। सुनील व कलीम ने भरोसा दिलाया कि रकम कुछ विभागों और अन्य अफसरों को दी जानी है।
सुनील व कलीम से मिले आश्वासन के बाद नीलम एक करोड़ रुपये देने के लिए राजी हो गया। सभी दिल्ली पहुंचे और पीड़ित से 1.06 करोड़ रुपये ले लिए। जालसाजों ने फर्जी वर्क आर्डर को असली दिखाने के लिए रजिस्टर पर उसे रिसीव करने के संबंध में साइन भी कराए थे।