
अपने पहले चुनाव के दौरान कन्नौज के इत्र कारखाने में जानकारी करते अखिलेश यादव
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देश-दुनिया को अपनी खूशूब से मदहोश करने वाली इत्रनगरी का सियासी दंगल मेहमानों को खूब रास आया है। चुनाव में बाहर से आए सियासतदानों को कन्नौज की अवाम ने सिर-आंखों पर बैठाया है। फिर चाहे पहले सांसद डॉ. राम मनोहर लोहिया हों, या उसके बाद शीला दीक्षित और मुलायम सिंह जैसे दिग्गज सियासी चेहरे। खूशबू के शहर की अवाम ने इन्हें हाथोंहाथ लिया और अपनों पर तरजीह देकर दिल्ली पहुंचा दिया।
देश की चौथी लोकसभा के चुनाव के दौरान वर्ष 1967 में गठित कन्नौज संसदीय सीट पर अब तक कुल 16 बार चुनाव हो चुके हैं। इसमें वर्ष 2000 और 2012 का उपचुनाव भी शामिल है। इन चुनावों के दौरान सिर्फ दो बार ही ऐसा मौका आया है जब वोटरों ने कन्नौज संसदीय सीट से ताल्लुक रखने वाले चेहरों को मौका दिया है। उसके अलावा हर बार या तो जिले के बाहर का रहा है या संसदीय सीट से उसका सीधा ताल्लुक नहीं रहा है। शुरू के दो चुनाव में ही बाहर के चेहरों पर भरोसा करके उन्हें सदन तक पहुंचाया गया। इसमें पहले चुनाव में जीते डॉ. राम मनोहर लोहिया और दूसरे चुनाव में जीते सत्यनारायण मिश्र भी शामिल हैं।