ऊमरी : (जालौन ) कृषि अवशेष (पराली) जलाने पर तमाम सरकारी प्रतिबंधों और सख्त आदेशों के बावजूद, ऊमरी नगर पंचायत और आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। स्थानीय निवासी लख्मीचंद पंडित के खेतों सहित कई स्थानों पर लगातार पराली जलाने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे पूरे नगर में जहरीला धुआं फैल रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस गंभीर स्थिति के बावजूद प्रशासनिक अमला पूरी तरह से मौन है और पराली जलाने वालों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

० जहरीली हवा से लोगों का जीना मुहाल

धान की कटाई के बाद किसान अगली फसल की तैयारी के लिए जल्दबाजी में पराली को खेतों में ही जला रहे हैं। इस धुएं के कारण ऊमरी का वायु प्रदूषण स्तर (AQI) खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है।
  सांस लेने में दिक्कत: बुजुर्गों और बच्चों में सांस लेने संबंधी शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं।
  आंखों में जलन: पूरे दिन धुएं की वजह से लोगों को आंखों में जलन और पानी आने की समस्या हो रही है।
  विजिबिलिटी कम: सड़कों पर दृश्यता (विजिबिलिटी) कम होने के कारण दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है।

०नियमों के बावजूद नहीं रुक रही आग

पराली जलाना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के नियमों के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित है, और ऐसा करने वाले किसानों पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि:
रोज शाम को खेतों से धुआं उठता है, लेकिन प्रशासन के अधिकारी इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। अगर कुछ किसानों पर सख्त कार्रवाई हो, तभी अन्य किसान सबक लेंगे।


० प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल

एक ओर जहां राज्य सरकारें और सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त निर्देश दे रहे हैं, वहीं ऊमरी में प्रशासन की लापरवाही गंभीर सवाल खड़े करती है। लख्मीचंद पंडित के खेतों में लगातार हो रही घटनाओं के बावजूद संबंधित विभाग द्वारा कोई निवारक कदम न उठाना, इस समस्या को और भी जटिल बना रहा है।
इस संबंध में जब हमने स्थानीय कृषि विभाग/प्रशासनिक अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
आगे क्या: स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और दोषी किसानों के खिलाफ जुर्माना लगाने व कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है ताकि ऊमरी नगर पंचायत के लोगों को इस जहरीली हवा से जल्द राहत मिल सके।

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