रायबरेली। मुंशीगंज कस्बे में निर्माणाधीन ओवरब्रिज के दायरे में आ रहे मकानों और दुकानों को ध्वस्त करने की तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। इससे लोगों में बेचैनी के साथ नाराजगी भी है। व्यापारियों का कहना है कि कई लोग ऐसे हैं, जिनके पास सिर छिपाने के लिए और कोई जरिया नहीं है। लोगों का कहना है कि मुआवजा पहले वितरण कर दिया जाए, उसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाए।

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मुंशीगंज कस्बे में 125 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण चल रहा है। एम्स से लेकर मुंशीगंज चौराहे तक पिलर बनाने का काम चल रहा है। इसके बीच में करीब 120 से ज्यादा दुकानें और मकान बने हैं। सेतु निगम की ओर से 27 सितंबर को ध्वस्तीकरण करने के लिए पत्राचार लोक निर्माण विभाग, जिला प्रशासन को किया गया है।

व्यापारी नेता वीरेंद्र कुमार अग्रहरि ने बताया कि जब से निर्माण शुरू हुआ, तब तक व्यापारियों का कारोबार चौपट हो गया है। बिना मुआवजा अब मकानों को ध्वस्त करने की साजिश की जा रही है। पवन कुमार, कृपाशंकर अग्रहरि, अनुराग अग्रहरि, कृपाशंकर साहू ने बताया कि ओवरब्रिज निर्माण से रोजमर्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है। मकान व दुकानें भी ध्वस्त कर दी जाएंगी, तो हम लोगों के सामने सिर छिपाने की समस्या हो जाएगी।

सेतु निगम के जेई सुशील गुप्ता ने बताया कि अतिक्रमण के चलते काम में विलंब हो रहा है। अतिक्रमण हटवाने के लिए अधिकारियों को पत्राचार किया गया है।



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