राजधानी लखनऊ में बख्शी का तालाब के खंतारी गांव में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के मामले में सोमवार को पुलिस प्रशासन का अलर्ट रहा। प्रतिमा ढकी रही जिसे खोलने या माल्यार्पण की अनुमति नहीं थी। ग्रामीण आंबेडकर जयंती पर गांव से पहाड़पुर तक जुलूस निकालने की तैयारी में थे। जुलूस के दौरान उपद्रव की साजिश के खुफिया इनपुट के कारण ग्रामीणों को इसकी अनुमति नहीं दी गई। 

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सोमवार को भी पूरा गांव छावनी में तब्दील रहा। गांव के बाहर और प्रतिमा के चारों तरफ पीएसी, आरएएफ, पुलिस, महिला पुलिस बल की तैनाती रही। बवाल की आशंका पर वज्र वाहन भी तैनात किए गए थे। उल्लेखनीय है कि खंतारी गांव के बाहर बाजार में बिना परमिशन के प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी। 12 अप्रैल को पुलिस प्रतिमा हटाने गई थी, जिसको लेकर बवाल हो गया था। ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला कर दिया था। पथराव में पांच पुलिसकर्मी, एक एसडीएम समेत 16 लोग घायल हो गए थे।

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ऐहतियात के लिए किया पैदल मार्च 

सूत्रों ने बताया कि खुफिया एजेंसियों ने इनपुट दिया था कि खंतारी के ग्रामीणों के जुलूस में कुछ अराजक तत्व माहौल खराब करने की तैयारी में हैं। इस पर एडीसीपी उत्तरी जितेंद्र दुबे, एसीपी बीकेटी अमोल मुरकुट की अगुवाई में पुलिस बल ने पैदल मार्च किया। ग्रामीणों को समझाते हुए जुलूस निकालने से रोका। डीसीपी ने बताया कि इलाके में पूरी तरह शांति है। शिवपुरी गांव में भी पुलिस तैनात की गई है। 

भाकपा माले के दल ने किया दौरा 

भाकपा माले के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर की अगुवाई में पार्टी के अंवेषण दल में शामिल राजीव गुप्ता, कमला गौतम, छोटे लाल रावत, मधुसूदन मगन, शांतम निधि और दिग्विजय सिंह गांव का दौरा कर मामले की जानकारी हासिल की। पुलिस पर जातिगत भेदभाव, महिलाओं की पिटाई और अभद्रता का आरोप लगाया है।



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