Principles and sacrifice made Karna great

नाटक के मंचन के दौरान कलाकार।

लखनऊ। महाभारत के अहम किरदार कर्ण के चरित्र, कौरवों के मित्र के तौर पर उनकी निजी दुविधाओं, नैतिक उलझनों और कुर्बानियों को समेटे शानदार नाटक ‘कर्ण- द जेनेरस वॉरिअर’ का मंचन बृहस्पतिवार को संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे सभागार में किया गया।

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यह नाटक वीमेन ट्रिओलॉजी नामक शृंखला के तीन नाटकों में से एक है। इस शृंखला के दो अन्य नाटक माधव और महादेव हैं। नाटक की कहानी कर्ण की मृत्यु से शुरू होती है। मृत्यु के बाद कर्ण अपने जीवन की स्मृतियों को याद करते हैं। वरिष्ठ रंगकर्मी प्रो. सत्यमूर्ति द्वारा स्थापित नाट्य संस्था दर्पण की ओर से मंचित इस नाटक में एक ऐसे कर्ण को पेश किया गया जो शूरवीर तो है, लेकिन उसके जीवन में अपने निजी संघर्ष और धर्म संकट भी हैं। वह अपने सिद्धांतों से कभी डिगा नहीं।

बॉलीवुड के अभिनेता और सीडीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अनिल रस्तोगी की मौजूदगी में मंचित इस नाटक को राजधानी के दर्शक लंबे समय तक याद रखेंगे। शूरवीर कर्ण के बारे एक नई दृष्टि पेश करने वाले इस नाटक में दिखाने की कोशिश की गई कि महाभारत की कहानी में किस तरह वह अपने चरित्र और सिद्धांतों की वजह से एक अहम किरदार के तौर पर उभरता है। मंच की भव्य साजसज्जा और कलाकारों के संजीदा अभिनय ने दर्शकों को आखिर तक बांधे रखा। नाटक का निर्देशन महाराष्ट्र के वरिष्ठ कलाकार कुलविंदर बख्शीश सिंह ने किया। नाटक में विनीता जोशी, नोयरिका भतेजा, संजना देशमुख और चांदनी श्रीवास्तव ने मंच पर यादगार अदाकारी की।



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