उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की जनसंख्या संबंधी रिपोर्ट के बाद ही आगे बढ़ सकेगी। इसलिए पंचायतीराज विभाग ने आयोग ने छह सदस्यीय आयोग के गठन के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। इस प्रस्ताव पर मुहर कैबिनेट को लगानी होगी।

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जनगणना वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार, राज्य में अनसूचित जनजातियों व अनुसूचित जातियों का प्रतिशत क्रमश: 0.5677 और 20.6982 प्रतिशत है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इन दोनों वर्गों के लिए इतनी ही प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। 

2021 में रैपिड सर्व के आधार पर सीटों का आरक्षण हुआ था

वहीं, जनगणना में ओबीसी जातियों का अलग से प्रतिशत शामिल किए जाने की व्यवस्था अभी तक नहीं थी। रैपिड सर्वे 2015 के अनुसार, राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत 53.33 प्रतिशत था। 2021 के चुनाव में इसी रैपिड सर्व के आधार पर सीटों का आरक्षण हुआ था।

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हालांकि, किसी भी ब्लॉक में ओबीसी की जनसंख्या का प्रतिशत 27 प्रतिशत से अधिक होने के बावजूद उस ब्लॉक में ग्राम प्रधान के पद 27 प्रतिशत से अधिक आरक्षित नहीं हो सकते। हां, अगर यह प्रतिशत उस ब्लॉक में 27 प्रतिशत से कम है, तो उसी अनुपात में पद आरक्षित होंगे। अलबत्ता, प्रदेश स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायत) में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रतिशत 27 प्रतिशत रखना अनिवार्य है।

ताकि किसी तरह के विवाद की स्थिति न बने

नगर निकाय के चुनाव में ओबीसी की जनसंख्या के प्रतिशत को लेकर काफी विवाद हुआ था। इसके बाद सरकार ने नगर निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर इस मामले में रिपोर्ट ली थी। पंचायत चुनाव में भी वैसी ही कवायद की जा रही है, ताकि किसी तरह के विवाद की कोई स्थिति न बने। 

राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग विभिन्न जिलों में जाकर ओबीसी की आबादी के बारे में जानकारी लेगा। फिर अपनी समग्र रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि उसके बाद आरक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ हो सकेगी। 



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