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हाथी – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
कीठम स्थित भालू संरक्षण गृह और चुरमुरा स्थित हाथी अस्पताल में भालू और हाथियों की सर्दी में विशेष देखभाल की जा रही है। भीषण सर्दी से बचाव के लिए हाथियों की की तिल और लौंग के तेल से मालिश की जा रही है। भालुओं को बाजरे का गर्मागर्म दलिया, गुड़ और खजूर दिया जा रहा है।
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इसके अलावा हाथियों को विशेष रूप से तैयार कराए गए कंबल पहनाए जा रहे हैं। गर्माहट के लिए हैलोजन लैंप लगाए गए हैं। धान की भूसी और सूखी घास खास तौर पर तैयार कराए गए गड्ढों में बिछाई जा रही है। जिससे धूप का आनंद लेने के दौरान उन्हें सर्दी न लगे।
सर्दी के कारण 33 साल की चमेली की दिनचर्या इन दिनों बदली हुई है। चमेली कीठम स्थित भालू संरक्षण केंद्र की सबसे उम्रदराज मादा भालू है। बढ़ती उम्र की समस्याओं के बीच सर्दी से मुकाबले के लिए केंद्र ने चमेली जैसे बुजुर्ग व अन्य भालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। उनके खान-पान से लेकर विश्राम तक की व्यवस्थाओं में मौसम के लिहाज से बदलाव किया गया है।
वाइल्ड लाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवाओं के उपनिदेशक डॉ. एस इलियाराजा ने बताया कि भालुओं के बाड़े, मांद और झूलों में धान की भूसी और सूखी घास फैला दी गई है, जिससे धूप सेंकने के दौरान उन्हें ठंड न लगे। शरीर की गर्मी को बनाए रखने के लिए बाजरे का दलिया, चिकन शोरबा और उबले अंडे दिया जा रहा है। जिन कमरों में भालू सोते हैं उनमें भी धान की भूसी का बिस्तर लगाया गया है।अर्थराइटिस से पीड़ित भालुओं के कमरों की गर्माहट बरकरार रहे, इसके लिए हीटर भी लगाए गए हैं।
इंसुलेटेड कंबल पहनाए गए
चुरमुरा स्थित हाथी संरक्षण केंद्र और अस्पताल में भी हाथियों के बचाव के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। वाइल्ड लाइफ एसओएस के सह संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण बताते हैं कि हाथियों को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए ऊनी और विशेष रूप से तैयार कराए गए इंसुलेटेड कंबल पहनाए गए हैं। बाड़ों को ठंडी हवा से बचाने के लिए तिरपाल से कवर किया गया है। अर्थराइटिस से पीड़ित हाथियों को लौंग व तिल के तेल की मालिश की जा रही है। बड़े-बड़े हैलोजन लैंप भी लगाए गए हैं जो बाड़ों को गर्माहट देते हैं।