Questions raised on police training

मृतक महिलर इशरत जहां और मृतक एसओजी सिपाही याकूब
– फोटो : फाइल फोटो

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अलीगढ़ के ऊपरकोट कोतवाली में पिछले वर्ष 2023 में 8 दिसंबर को दरोगा के हाथ से चली पिस्टल से महिला की जान गई। अब गभाना में भी दरोगा के हाथ से चली गोली से खुद दरोगा जख्मी हुआ और सिपाही की जान गई। ये घटनाएं उदाहरण हैं पुलिस के शस्त्र संचालन प्रशिक्षण (पुलिसिया भाषा में सिखलाई) की कमी पर सवाल खड़ा करने का।

प्रति सप्ताह शुक्रवार को पुलिस लाइन में परेड के दौरान इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है। सालाना होने वाली फायरिंग में भी इसी तमाम बातों पर बारीकी से ज्ञान दिया जाता है। बावजूद इसके ये घटनाएं हो रही हैं, जो अपने आप में सवाल खड़ा कर रही हैं व्यवस्था पर। सवाल है कि आखिर इस तरह से जान कब तक जारी रहेंगी।

अलीगढ़ जिले की ऊपरकोट कोतवाली की घटना ज्यादा पुरानी नहीं। दरोगा मुंशियाने में खड़ा अपनी सर्विस पिस्टल लेकर उसे चेक कर रहा था। तभी चली गोली से वहां पासपोर्ट सत्यापन के लिए आई महिला की मौत हो गई। दरोगा को जेल जाना पड़ा। बात अलग है कि समझौते के आधार पर कुछ माह में मुकदमा निपट गया। 

अब गभाना में इसी तरह की मिस हैंडलिंग की घटना हुई। इस बार खुद पुलिसकर्मी की जान गई है और एक जख्मी हुआ है। ये सब क्यों हो रहा है? इस पर किसी का ध्यान नहीं है। ऐसे कब तक जान जाती रहेंगी। अगर प्रशिक्षण में कोई कमी है तो इस पर ध्यान दिया। कब तक पिस्टल में कारतूस डालने से लेकर उसे चेक करने तक के दौरान इस तरह के घटनाक्रम होते रहेंगे।



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