मुजफ्फरनगर। देशभर में इस वर्ष हुई अभूतपूर्व बारिश और बेमौसमी तूफानों के कारण हालात चिंताजनक बने हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी Rakesh Tikait (राकेश टिकैत) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह पंजाब समेत बाढ़ प्रभावित सभी राज्यों के लिए विशेष राहत पैकेज की तत्काल घोषणा करे।
किसान और आम जनता पर बाढ़ का कहर
राकेश टिकैत ने बताया कि इस साल के जलप्रलय ने किसानों की फसलें तबाह कर दी हैं और पशुधन बह चुका है। गांवों में घर ढह गए हैं, सड़कें जलमग्न हो गई हैं, और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। “किसान अब फसल नहीं, अपने परिवार को बचाने में लगे हैं। ऐसे समय में सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित राहत पहुंचानी चाहिए,” उन्होंने कहा।
केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग
भाकियू प्रवक्ता के अनुसार, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, ओडिशा और असम जैसे राज्य भारी बारिश और बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। दिल्ली और हरियाणा में यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र को विशेष पैकेज की घोषणा कर तत्काल बचाव, राहत और मुआवजे का काम शुरू करना चाहिए।
भाकियू द्वारा राहत कार्यों की शुरुआत
राकेश टिकैत ने जानकारी दी कि भाकियू ने पंजाब में राहत अभियान शुरू किया है। चंडीगढ़ स्थित किसान भवन को राहत कार्यों का बेस कैम्प बनाया गया है। यहां से स्वयंसेवक प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, दवाइयां, और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचा रहे हैं। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि वे इस आपदा की घड़ी में मानवता का धर्म निभाएं और किसानों की मदद के लिए आगे आएं।
बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए महत्वपूर्ण मांगें
भाकियू ने केंद्र से कुछ मुख्य मांगें की हैं:
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विशेष राहत पैकेज की तत्काल घोषणा
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प्रभावित किसानों को नुकसान का समुचित मुआवजा
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आपातकालीन राहत और बचाव कार्यों में तेजी
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दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन योजना तैयार करना ताकि भविष्य में नुकसान रोका जा सके
राकेश टिकैत ने दोहराया कि यह संकट केवल किसानों का नहीं, पूरे देश का है। “अगर किसान बर्बाद हुआ, तो देश का पेट कैसे भरेगा?” उन्होंने कहा कि सरकार, समाज और सभी नागरिकों को मिलकर संवेदनशीलता और तत्परता दिखानी होगी।
किसानों की फसलें और पशुधन पूरी तरह प्रभावित
विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खड़ी फसलें पूरी तरह पानी में डूब चुकी हैं। खेतों में पानी जमा होने से गेंहू, धान और दलहन की फसलें बर्बाद हो रही हैं। पशुधन भी बाढ़ के पानी में बह चुका है, जिससे किसानों का जीवन संकट में है।
स्थानीय प्रशासन की तैयारी और राहत प्रयास
राज्यों में प्रशासन भी इस संकट से निपटने के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है। आपातकालीन शिविर, नावों और राहत सामग्री की तैनाती की जा रही है। इसके बावजूद, राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र को समेकित और विशेष राहत पैकेज की घोषणा करके किसानों और आम जनता की सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।
देशभर में मानवता का संदेश
भाकियू का कहना है कि इस आपदा की घड़ी में देशवासियों को एकजुट होना चाहिए। केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं; समाज और नागरिकों का सहयोग भी आवश्यक है। राकेश टिकैत ने लोगों से अपील की कि वे प्रभावित किसानों के लिए भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरत की वस्तुएं पहुंचाएं।
दीर्घकालिक योजना और भविष्य की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल तात्कालिक राहत पर्याप्त नहीं है। दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन योजना बनाना जरूरी है ताकि भविष्य में कृषि और ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले नुकसान को रोका जा सके। भाकियू ने यह भी सुझाव दिया कि जल प्रबंधन, बांधों और नदियों के किनारों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए।
केंद्र सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह सभी प्रभावित राज्यों के लिए त्वरित और पारदर्शी राहत योजना बनाए। विशेष पैकेज की घोषणा केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि यह किसानों और ग्रामीण समुदाय के लिए मानसिक और सामाजिक सहारा भी प्रदान करेगा।
भारत के किसान और आम जनता इस समय गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार से अपील की है कि पंजाब समेत सभी प्रभावित राज्यों के लिए तत्काल विशेष राहत पैकेज की घोषणा की जाए। यह कदम केवल राहत और बचाव का नहीं, बल्कि पूरे देश की कृषि अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता को सुरक्षित करने का भी अवसर है। जनता और सरकार को मिलकर इस आपदा का सामना करना होगा।