
इकबाल अंसारी को दिया गया आमंत्रण पत्र।
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श्रीराम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद विवाद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी को न्योता देने के साथ शुक्रवार को सद्भाव प्रगाढ़ करने की नई पहल शुरू की गई। इसे अयोध्या से ही शुरू किया गया। दूसरे धर्म-संप्रदाय के लोगों ने भी इस पहल का स्वागत किया है।
श्रीराम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद विवाद कई दशक तक चला। पहले इसके मुद्दई हाशिम अंसारी थे। बाद में उन्होंने पैरोकारी की कमान अपने बेटे इकबाल अंसारी को सौंप दी थी। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया। खास बात यह है कि विवाद के दौरान मुद्दई रहे इकबाल के पिता हाशिम अंसारी न्यायालय में पैरोकारी करने दिगंबर अखाड़ा के महंत परमहंस राम चंद्र दास के साथ जाते थे। दोनों मित्र थे, जबकि वह विपक्ष से पैरोकारी करने वाले थे।
कई बार सार्वजनिक मंचों पर इसकी चर्चा भी हुई। महंत के गोलोकवासी होने के दौरान हाशिम अंसारी दिखंबर अखाड़ा पहुंचे थे। दुखी थे, रोये थे। उन्होंने इसका इजहार भी किया था। मतलब यह कि अयोध्या के लोगों के बीच आपसी सद्भाव पुरातन है। नजीर भी कह सकते हैं। न्यायालय के फैसले पर मुद्दई इकबाल ने खुशी जाहिर की थी। अब इकबाल अंसारी को ट्रस्ट ने आमंत्रण पत्र भेजा है, जबकि वह विपक्ष में थे। इसे आदि नगरी अयोध्या से सदभाव प्रगाढ़ करने की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है।
भेदभाव मिटाने की सुंदर कोशिश
ऐतिहासिक ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरजीत सिंह कहते हैं कि मुद्दई इकबाल अंसारी को न्योता देना बहुत अच्छा है। राम सबके हैं। कुछ लोगों ने भेदभाव पैदा किया। अच्छा संदेश जाएगा। मोदी जी भी सबका साथ, सबका विकास चाहते हैं। यह बहुत अच्छा हुआ।
इकबाल अंसारी कहते हैं कि प्राण-प्रतिष्ठा से पूरे विश्व में सद्भाव कायम होगा। श्रीराम विराजमान होंगे तो हर धर्म का सम्मान होगा। भगवान श्रीराम के समय में किसी को कोई तकलीफ नहीं हुई।
विवाद का आपसी समझौते से हल कराने का प्रयास करने वाले मो. सादिक अली कहते हैं कि भगवान श्रीराम को हिंदू, मुस्लिम सभी मानते हैं। भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इसके जश्न में हम लोग भी शामिल हैं। हमारा तो पहले ही मिशन था कि राम मंदिर बने। इसीलिए पांच हजार हिंदुओं व पांच हजार मुसलमानों के हस्ताक्षर कराकर न्यायालय में दाखिल करने के लिए कमिश्नर को सौंपा था।