
Ram Mandir opening
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां अपने अंतिम चरणों में हैं। 22 जनवरी को भव्य समारोह के साथ श्री रामलला को गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा। भगवान राम के प्राण-प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त एलान हो चुका है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा निकाले गए मुहूर्त में बताया गया है कि श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में की जाएगी और 84 सेकंड के सूक्ष्म मुहूर्त में मुख्य प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया है? तीन साल पहले पांच अगस्त, 2020 को जब राम मंदिर का शिलान्यास किया गया था, तब मुहूर्त को लेकर सवाल क्यों उठे थे? आइए जानते है इन सभी सवालों के जवाब।
इस समय विराजमान होंगे रामलला
22 जनवरी के दिन पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि होगी और इस दिन 5 अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए निकाले गए मुहूर्त में दोपहर 12:15 से दोपहर 12:45 के बीच गर्भगृह में रामलला विराजमान होंगे। इस दौरान मेष लग्न होगा और वृश्चिक नवांश में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित होगा। देशभर से 121 ब्राह्मण इस आयोजन को पूरा करेंगे। दरअसल, मकर संक्रांति के दौरान 16 जनवरी से 24 जनवरी 2024 तक की तिथियां शुभ मुहूर्त मानी गई हैं। प्रभु श्रीराम का जन्म भी अभिजीत योग में हुआ था। अन्य तिथियों में यह योग क्षणिक समय के लिए बन रहा था, जबकि 22 जनवरी को यह अभिजीत योग लंबे समय तक का है। ऐसे में तय हुआ कि 22 जनवरी की तिथि ही सबसे उपयुक्त रहेगी।
क्या है अभिजीत मुहूर्त का महत्व?
अभिजीत मुहूर्त सर्वेश्रेष्ठ मुहूर्त में से एक होता है। इस मुहूर्त की विशेषता यह है कि दिन में पड़ने वाले अभिजीत मुहूर्त में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, साथ ही रात्रि में पड़ने वाले अभिजीत मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था। ज्योतिष विद्वान यह बताते हैं कि अभिजीत मुहूर्त में सभी प्रकार के दोष को नष्ट करने की ताकत होती है और किसी भी शुभ कार्य के लिए यदि शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है, तो अभिजीत मुहूर्त में कार्य करने से निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। इस मुहूर्त में दान-पुण्य, पूजा-पाठ इत्यादि कर्म करने से सभी प्रकार के दोष का भी नाश होता है। इसलिए इस मुहूर्त को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।