
इसी कलश में पहुंचा है जल।
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प्रभु श्रीराम की ससुराल नेपाल से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पवित्र नदियों का जल शुक्रवार की देर रात अयोध्या पहुंचा। कारसेवकपुरम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जल भरे कलश की आरती व पूजा की। नेपाल की बागमती, नारायणी, गंगा सागर, दूधमति, काली, गंडकी, कोशी, कमला सहित 16 नदियों का जल आया है। नदियों के पवित्र जल को नेपाल के विश्व हिंदू परिषद की ओर से जनकपुर से अयोध्या लाया गया है। विहिप नेपाल के महामंत्री जितेंद्र ने बताया कि हिन्दू राष्ट्र नेपाल की नदियों के पवित्र जल को जनक जननी माता सीता के जनकपुर में संग्रह किया गया। इसके बाद 27 दिसंबर को इसे लेकर यात्रा के रूप में निकले। रास्ते में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्वागत किया। इस जल से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला का अभिषेक किया जाएगा।
अचल मूर्ति के लिए मंगाए गए थे 12 पत्थर
रामलला की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली। देश के तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इन शिलाओं पर रामलला के बाल स्वरूप को जीवंत करने में जुट गए। राजस्थान की संगमरमर शिला पर विग्रह बनाने का काम मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय कर रहे हैं। कर्नाटक की श्याम रंग की एक शिला पर मूर्तिकार गणेश भट्ट व दूसरी शिला पर अरुण योगीराज ने रामलला की अद्भुत छवि उकेरी है।