चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि अजीब विडंबना है, जिन्होंने एक बार भी राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग नहीं लिया, उन्हें ही मंदिर का ट्रस्टी बना दिया गया। वह मंगलवार को विजेथुआ महावीरन धाम में वाल्मीकि रामायण कथा सुना रहे थे।

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रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि संतों ने गांव में जाना छोड़ दिया तो विसंगतियां बढ़ने लगीं। अवध और अवधी दोनों मुझे बहुत भाती हैं। यह मेरी और मेरे आराध्य की जन्मभूमि है। उन्होंने कहा कि सभी सनातनियों को मस्तक पर तिलक जरूर लगाना चाहिए। तिलक लगाने के अनेक फायदे हैं। तिलक के बिना ब्राह्मण यमराज जैसा दिखता है।

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तुलसी पीठाधीश्वर ने श्रद्धालुओं को बताया कि विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ के पास गए। राजा से राम-लक्ष्मण को मांगा। इसपर दशरथ ने कहा कि मैं राम को नहीं दे सकता।

वशिष्ठ के समझाने के बाद दशरथ ने राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजा। विश्वामित्र ने राम को विद्या प्रदान की। श्रीराम ने सबसे पहला वध ताड़का का किया।



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